अलबर्ट | ALBERT

Book Image : अलबर्ट  - ALBERT

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

पुस्तक समूह - Pustak Samuh

No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh

Add Infomation AboutPustak Samuh

सूरज प्रकाश -SURAJ PRAKASH

No Information available about सूरज प्रकाश -SURAJ PRAKASH

Add Infomation AboutSURAJ PRAKASH

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
8/23/2016 वही होते हो और तुम्हारी शराब होती है। तुम्हारे ऑफिस वालों ने तुम्हारी मेडिकल रिपोर्ट दिखाई थी मुझे। गॉड विल हैल्प यू माय सन। तुम जरूर अच्छे हो जाओगे। छोड़ दो बेटे ये सब। तुम्हारी ममा तुम्हारी सेवा करके तुम्हें अच्छा कर देगी। पिछले एक बरस में मैं चौथी बार बंबई आया हूँ। पिछली बार की तरह इस बार भी तुम मुझे नहीं मिले हो। तुम्हारी ममा ने इस बार यही कह कर मुझे भेजा था कि तुम्हें साथ ले ही आऊँ। पर तुम्हें ढूँढूँ कहाँ। पिछले चार दिन से तुम्हारे घर और ऑफिस के चक्कर काट काट कर थक गया हूँ। तुम्हारी तलाश मेँ कहाँ कहाँ नहीं भटका हूँ। तुम कहीं भी तो नहीं मिले हो। अल्बर्ट, मैं थक गया हूँ | तुम्हें समझा कर भी और तुम्हें तलाश करके भी| फिर कब आ पाऊँगा कह नहीं सकता। इन चार दिनों में भी होटल में, खाने पीने में और आने में कितना तो खर्चा हो गया है। चाह कर भी एक दिन भी और नहीं रुक सकता। वापसी के लायक ही पैसे बचे हैं। ये खत मैं तुम्हारे दरवाजे के नीचे सरका कर जा रहा हूँ। कभी लौटो अपने घर और होश में होवो तो ये खत पढ़ लेना। मैं तो तुम्हें अब क्या समझाऊँ। तुम्हें अब यीशू मसीह ही समझाएँगे और...। गॉड ब्लेस यू माय सन...। शीर्ष पर जाएँ 33




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now