धम्मपद | DHAMMAPAD - PALI AND HINDI

DHAMMAPAD - PALI AND HINDI by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaभदन्त आनन्द कौसल्यायन - Bhadant Anand Kausalyayan

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

पुस्तक समूह - Pustak Samuh

No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh

Add Infomation AboutPustak Samuh

भदंत आनंद कौसल्यायन -Bhadant Aanand Kausalyayan

No Information available about भदंत आनंद कौसल्यायन -Bhadant Aanand Kausalyayan

Add Infomation AboutBhadant Aanand Kausalyayan

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
१२० | यमकवर्गो [७ अनुपादियानो इध वा हुरं वा स भागवा सामव्यस्स होति ॥२०॥ धमं-अन्थों को चाहे थोड़ा ही पाठ करे, लेकिन यदि राग, हंष तथा मोह से रहित, कोई व्यक्ति धर्म के अनुसार आचरण करता है तो ऐसा बुद्धिमान्‌, अनासक्त, यहाँ वहाँ (दोनों जगह) भोगो के पीछे न भांगनेवाला व्यक्ति ही श्रमण॒त्व का भागी होता है ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now