धम्मपद | DHAMMAPAD - PALI AND HINDI

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भदंत आनंद कौसल्यायन -Bhadant Aanand Kausalyayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१२० | यमकवर्गो [७ अनुपादियानो इध वा हुरं वा स भागवा सामव्यस्स होति ॥२०॥ धमं-अन्थों को चाहे थोड़ा ही पाठ करे, लेकिन यदि राग, हंष तथा मोह से रहित, कोई व्यक्ति धर्म के अनुसार आचरण करता है तो ऐसा बुद्धिमान्‌, अनासक्त, यहाँ वहाँ (दोनों जगह) भोगो के पीछे न भांगनेवाला व्यक्ति ही श्रमण॒त्व का भागी होता है ।




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