सदानंद ली छोटी दुनिया | SADANAND KI CHOTI DUNIYA
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
20
श्रेणी :
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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सत्यजीत राय -SATYJIT RAY
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)के वक्त एक च्यूंटा ने उनके कान के अंदर जाकर काट लिया है।
यह बात सुनकर मुझे बेहद खुशी हुई थी। मगर उसके बाद ही झाड़ू पीटने की
आवाज सुनकर समझ गया कि चींटियों को मारने का अभियान शुरू हो गया है।
उसके बाद एक अजीब घटना घटी। अचानक कानों में धीमी आवाज़ आई-बचाओ!
बचाओ! हम लोगों की रक्षा करो! मैंने खिड़की की तरफ गौर से देखा चींटियों का झुंड
खिड़की के ऊपर आकर घबराहट के मारे चहल-कृदमी कर रहा है।
चींटियों के मुँह से यह बात सुनकर मैं ख़ामोश नहीं रह सका। बीमारी की बात
भूलकर मैं बिस्तर से कूदकर बरामदे में चला आया। शुरू में मेरे समझ में यह न आया
कि क्या करूँ, उसके बाद सामने एक घड़ा देखकर उसे उठाकर पटक दिया।
उसके बाद जो भी टूटने लायक चीजें थीं, उन्हें तोड़ना शुरू कर दिया।
मैंने बहुत ही कारगर उपाय खोज निकाला था, क्योंकि उसके बाद मेरा कांड देखकर
चींटियों को मारने का अभियान रुक गया। मगर उसी क्षण माँ-बाबूजी, छोटी बुआ जी,
साबीदी-जितने भी लोग थे-घबराकर बाहर निकल आए और मुझे कसकर पकड़ लिया।
उसके बादं मुझे गोद में उठाकर खाट पर पटक दिया ओर दरवाज़े को ताले से बंद कर
दिया।
मैं मन-ही-मन हँसा और मेरी खिड़की पर चींटियों ने खुशी के मारे नाचना शुरू
कर दिया और मुझे शाबाशी देने लगीं।
उसके बाद मैं ज्यादा दिनों तक घर में नहीं रहा। क्योंकि एक दिन डाक्टर साहब
ने मेरी जाँच करने के बाद कहा कि घर पर रहने से चिकित्सा में सुविधा नहीं होगी और
मुझे अस्पताल जाना होगा।
अभी मैं जहाँ हूँ, वह अस्पताल का एक कमरा है मैं यहाँ चार दिनों से हूँ।
पहले दिन मुझे यह कमरा बहुत बुरा लगा था। क्योंकि यह इतना साफु-सुथरा है
कि लगता है चींटी यहाँ हो ही नहीं सकती। चूंकि कमरा नया है इसलिए छेद-दरार नहीं
है। कोई अलमारी भी नहीं है कि जिसके नीचे या पीछे चींटी रह सकें। नाली अलबत्ता
है। मगर वह भी बेहद साफु-सुथरी है। हाँ, एक खिड़की है और खिड़की के बाहर ही
आम के एक पेड़ का ऊपरी हिस्सा है। उसकी एक डाल खिड़की के बिल्कुल करीब है।
सब्यनन्ह की छोटी दुनिया
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