बोबक बकरा | GORDON GOAT

GORDON GOAT by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaमनरो लीफ -MANRO LEAF

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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| || || ८२० उसे बस खाने का शौक था। उसे जो भी मिलता वह उसे चट कर जाता। वह क्या खा रहा है इस बात की उसे बिल्कुल भी परवाह नहीं थी। उसे जो कुछ भी दिखता वह उस पर अपना मुंह मार देता। वैसे तो उसे बबूल के पेड़ के पत्ते और फलियां ही सबसे अच्छी लगती थीं।




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