दिन में तारे क्यों नही दिखते ? | DIN MEIN TARE KYOON NAHIN DIKHTE

DIN MEIN TARE KYOON NAHIN DIKHTE  by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaमेल्विन -MELVIN

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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लोग हजारों सालों से तारों को निहारते आ रहे हैं. बहुत पहले उन्हें आसमान में कुछ अजीब चीज़ नज़र आई. आसमान में ज़्यादातर तारे एक ही स्थान पर बने रहते थे. पर कुछ तारे इधर-उधर घूमते भी थे. हमारे पुरखों ने इन घूमने वाले तारों को एक नाम दिया - ग्रह (प्ल्रैनेट). प्लैनेट शब्द का मतलब होता है -“भटकने वाला”, आज हम ना ग्रहों के बारे में जानते हैं. यह ग्रह, सूर्य की परिक्रमा लगाते हैं. हमारी पृथ्वी उनमें से एक ग्रह है.




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