खगोलशास्त्र की कहानी | THE STORY OF ASTRONOMY

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उदय पाटिल -UDAY PATIL

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दुर्भाग्यवश कॉपरनिकस का मॉडल ( बेहतर साबित नहीं हुआ। कुछ भी महसूस नहीं कार्पेरनिकस को पता था कि यदि चर्च ने उसके विचारों को नकार दिया तो केवल ईश्वर ही उन्हें बचा सकता था। वह चर्च को बिल्कुल नाराज नहीं करना चाहता था। उसका सहायक जो काफी चतुर था, उसने बचने का तरीका ढूंढ लिया और किताब को छाप ही दिया। से सूर्य की परिक्रमा कर रहे हैं, तो ऐसा क्‍यों है कि मुझे सूर्य केन्द्रित सिद्धान्त पर आधारित ) टोलॉमी के भू-केन्द्रित मॉडल से होता? रिवोल्यूशनिबस ऑरबियम कोएलेस्टियम १७४३ पवित्र पिता पोप पॉल ३ को समर्पित पहला, कॉपरनिकस ने कारण दो तरह के थे। कौन कहता है कि ०यह सरल है? ॥ थे कक्षाओं के लम्बूतरे रूप को 4 । नहीं पहचाना था। इसके ही 72, बजाय उसने एपिसाइकिलों का एक जटिल ढांचा निकाला था। दूसरे, वह त्रुटिपूर्ण अवलोकन ( ऑबजरवेशन ) के आह् पर काम कर रहा था। हां, और वैसे भी धरती की इतनी बड़ी गेंद को सूर्य के चारों ओर कौन धकेलता है? चाहिये। दुनिया को उसकी जरूरत है। विचार हैं लेकिन कितनी उलझी हुई बारीकियां! मुझे बताओ... अगर पृथ्वी एक जगह /ज)) ्स जगह जा रही है तो हमें सितारों के ताने बाने में कुछ पैरेलैक्स नहीं नजर आएगा? पता नहीं। मुझे अभी भी बहुत सी बारीकियों पर काम करने की जरूरत है। इसके अलावा.... दुर्भाग्यवश इस पुस्तक को जो लोकप्रियता मिलनी चाहिए थी, नहीं मिली। कॉपरनिकस के सिद्धान्त एक सदी से भी ज्यादा समय तक पड़े रहे। फिर भी, सूर्य केन्द्रित सिद्धान्त की सच्चाई की पूरी तरह उपेक्षा करना सम्भव नहीं था। यह भी हैरानी की बात नहीं कि खगोलविदों ने पुराने भू-केन्द्रित सिद्धान्त को बचाने के लिये जम कर संघर्ष किया। हाँ, नहीं तो हम एक मजबूत आधार हमेशा के लिये खो देंगे। 117 6 अवश्य ही उसपर ध्यान देना चआहिये।




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