पहचान | PEHCHAN

PEHCHAN by अनवर सुहैल -ANWAR SUHAILअरविन्द गुप्ता - Arvind Gupta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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8/1172016 वैसे भी यूनुस का खालू से छत्तीस का आँकड़ा था। खालू उसे फूटी आँख पसंद न करते। कल्लू यूनुस का हाथ थामे एक झोंपड़ी के सामने रुका। यह निचली छानी वाली एक मामूली सी झोंपड़ी थी। बाहर परछी थी। परछी में एक खाट बिछी थी। कल्लू ने यूनुस को परछी में खाट पर बैठने का इशारा किया। फिर वह अंदर चला गया। यूनुस खाट पर बैठा ही था कि दो नंग-धड़ंग बच्चे उसके पास चले आए - 'मालिक, चना खाने को पैसा दो ना!' यूनुस ने उन्हें फटकारा। वे टरे नहीं, जिद पर अड़े रहे। तब तक कल्‍्लू झोंपड़ी से बाहर निकला। उसने यूनुस को परेशान करते बच्चों की पीठ पर धौल्र जमाई। बच्चे तुरंत रफूचक्कर हो गए। कल्लू ने यूनुस से फुसफुसाकर कहा - 'पहले तुम जाओ, समझे।' यूनुस क्या कहता, उसे तो अनुभव लेना था। उसने 'हाँ' में सिर हिला दिया। उसके दिल की धड़कनें तेज हो चुकी थीं। उसने अपने सीने पर हाथ रखा। दिल बड़ी तेजी से धड़क रहा था। माथे पर पसीना चुचुआने लगा था। हिम्मत करके वह खटिया से उठा। कलल्‍्लू उसकी जगह खाट पर बैठ गया। यूनुस झिझकते-झिझकते झोंपड़ी के दरवाजे के पास जाकर खड़ा हुआ। वह टीना-टप्पर ठोंक-ठाँक कर बनाया गया एक काम-चलाऊ दरवाजा था। उसने कल्‍्लू की तरफ देखा। कल्लू ने आँख के इशारे से बताया कि दरवाजा ठेलकर वह घुस जाए। यूनुस ने दरवाजे को धक्का दिया। दरवाजा खुल गया। अंदर लालटेन की मद्धम रोशनी थी। वह अंदर पहुँचा तो उसने देखा कि कोने में एक चारपाई है और जमीन पर भी बिस्तर बिछा है। जमीन के बिस्तर पर एक अधेड़ महिला बैठी है। ठीक उसकी खाला की उम्र की महिला। उसने सिर्फ लहँगा और ब्लाउज पहन रखा है। वह एक छोटे से आईने को एक हाथ से पकड़े अपने होठों पर लिपिस्टिक लगा रही है। यूनुस को देखकर उसने उसे खटिया पर बैठने का इशारा किया। 1694




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