रामसागर शास्त्री - Ramsagar Shastri
लेखक-परिचय
नाम - श्री पंडित रामसागर शास्त्री
पिता नाम - श्री पंडित बेनीप्रसाद मिश्र
जन्म-तिथि 26-12-1926
जन्मस्थान - ग्राम पो० गौरी, रीवा (म०प्र०)
शिक्षा - वाराणसी में संस्कृत एवं हिन्दी का अध्ययन
कार्यवृत्त - विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में अध्यापन
संप्रति - अध्ययन एवं लेखन
विन्ध्य-क्षेत्र के प्रसिद्ध साहित्यकार श्री रामसागर शास्त्री जी की उत्कृष्ट रचनाओं के लिए विन्ध्यप्रदेश एवं मध्य-प्रदेश शासन द्वारा 4 पुस्तकें पुरस्कृत की गई
(लाल पुरस्कार 1953),(ठाकुर पुरस्कार 1953),
(व्यास पुरस्कार 1954),(पद्माकर पुरस्कार 1956)
इसके अलावा बघेली रचना के लिए अद्भुत योगदान के कारण वर्ष 1995 में बघेली रचना शिविर में लोक भाषा सम्मान से सम्मानित किये गये,इसके अतिरिक्त सोनांचल साहित्यकार संस्थान सोनभद्र (उ०प्र०) द्वारा स्थापित स्व० ठाकुर गोपालशरण सिंह स्मृति "विंध्यरत्न" (2000) से विभूषित किये गये,साथ ही हिंदी दिवस और शिक्षक दिवस के दिन भी सम्मान प्राप्त किया|बघेलखण्ड सांस्कृतिक महोत्सव समिति रीवा द्वारा वर्ष (2002)में "विन्ध्य-शिखर-सम्मान तथा पुरुषोत्तमदास महाराज के स्वर्ण जयन्ती के अवसर पर "श्रीमहन्त" की उपाधि से सम्मानित किया गया इसके अलावा संस्कृत भाषा के उन्नयन,संवर्द्धन एवं परिरक्षण रूप विशिष्ट सेवाओं के लिए (2002) में रामप्रियदास बैण्णनाश्रम खजुरीताल सतना के द्वारा सम्मानित किया गया है।
श्री शास्त्री जी की प्रकाशित रचनाएँ
"विन्ध्य की सैर" (पुरस्कृत)
"विन्ध्य के अमर रत्न" (पुरस्कृत)
"विंध्य-दर्शन" भाग-१ (पुरस्कृत)
"क्योटी का गढी"
"धरती का सोना" (बाल लोक साहित्य)
"सती के नाम पर" (सामाजिक उपन्यास)
"कर्म साधना" (उपन्यास) (पुरस्कृत)
"सफेद शेर मोहन और उसके बंशज"(हिंदी तथा अंग्रेजी)
"विन्य-भूमि का गौरव"(निबन्ध-संग्रह)
"महाकुम्भपर्व" "सप्त वार्ताए"
विन्ध्य-साहित्य-प्रकाशन,
शास्त्री-भवन, अमहिया,
रीवा (म० प्र०) पिन 486001