पृथ्वीराज रासो की भाषा | Prithvi Raj Raso Ki Bhasha

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : पृथ्वीराज रासो की भाषा  - Prithvi Raj Raso Ki Bhasha

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about नामवर सिंह - Namvar Singh

Add Infomation AboutNamvar Singh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
१० बिविध सूपान्तरों के खंडों की तालिका (१) चारों रूपान्तरों में पाए जाने वाले खंड १. त्रादि पव॑ ( १ )ै ६ कैमासवंध ( भ७ ये २. दिल्‍ली किल्‍ली दान... ( ३ ) ७ घट रितु वणन (दर) ३ अनगपाल दिल्‍ली दान ( १८ ) ८ कनवज कथा (६२) ४. पग यज्ञ विव्वस ( ४ष्ट ) . € बड़ी लडाई ( द .) ५. सजोगिता नेम झ्राचरण (४५० ) १० बानवेंध ( ६६ ) १ (कर) यहाँखरो की सख्या माय महाराणा अमर सिह की १७६० वाली प्रति के श्नुसार है । केवल समरसी दिल्ली सद्दाय खट को जो इस प्रति से वी लडई के झनभूत है प्राचीन प्रतियो के अतुसार अलग दिखाया गया है जिससे सपुर्ण खड सख्या ६४ के स्थान पर ७० हो जाती है | क्रम में भी आखेटक चख श्राप खड को प्राचीन प्रतियो का अनुसरण करते हुए थीर पुडीर-खड के पीछे रखा गया है | ( ख ) बडे रूपान्तरों के जो खड छोटे रूपान्तरो मे झ्ाए हैं वे ज्यो के त्यो नही है किन्तु उत्तरोत्तर सक्षिप्त होते गए हैं यहाँ तक कि कई खड तो छोटे खडो ( रूपान्तरो ) में दो चार अथवा एकाध पद्यो के रूप में ही आए जाते है । साथ ही बडे रूपान्तरो के अनेक खड छोटे रूपान्तरो में दूसरे खडो के अन्त्भु क्त हो गए है । कुछ अवस्था सें वृहत्‌ रूपान्तर के खड़ छोटे रूपान्तरो में कई खडे में विभक्त हो गए है वृदत्‌ रूपान्तर के उक्त १० खडो के स्थान पर मध्यम रूपान्तर में २० और लघु रूपान्तर मे १४ खड है | २. लघुतम रूपान्तर खड़े मे विभक्त नदी है । अत उसमे खड नही है पर वृहहत्‌ रूपान्तर के इन खडो के प्रसंग उसमें किसी न किसी रूप में आए है | ३. लघु रूपान्तर मे यह दो खडे में विभक्त है । प्रथम में म्गलाचरण ( और दशावतार प्रसग ) है तथा दूसरे में वशावली । दूसरे खड में वृदृत्‌ रूपान्तर के छिंल्ली किल्ली ( ३) अनगपाल दिल्लीदान (१८) तंधा धनकथा ( २४ ) खड़ो के प्रसग भी आ गए है | ४ लघु रूपान्तर में ये प्रसंग बहुत सक्तेप में वशावली वाले द्वितीय खड में आए है । लघखुतम रूपान्तर में इसका कथन और भी अधिक संक्षिप्त है । लघु रूपान्तर में ये दोनो प्रसंग एक ही खड में झा गए है। मध्यम रूपान्तर में ये बालका राइ वध खड में अन्तसुक्त हो गए है | . वृदद और लघुतम रूपान्तरों में यह प्रसग कनवज-कथा के पूर्व झाय। है पर लघु और मध्यम रूपान्तरों सें थीर पुडीर प्रसग के पश्चात्‌ | मध्यम रूपान्तर में वदद स्वतत्र खड है पर लघु रूपान्तर में थीर पडीर प्रसगंवाले खड का अग है । मध्यम रूपान्तर में ये प्रसग क्रमश आठ और चार खड़ी में विभक्त है और लघु रूपान्तर में क्रमशः ले और पाँच खडों में । मध्यम रूपान्तर की कई प्रतियो में यह प्रसंग नददी पाया जाता | क्र दीप 6 मे




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now