शास्त्र - रहस्य भाग 2 | Shastra Rahasya Bhag 2

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Book Image : शास्त्र - रहस्य भाग 2  - Shastra Rahasya Bhag 2

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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गराधम | ९३ .. हुंपे क्रोध को घश में रखने याठा यूदाश्रपाशिलाषी पुरुष ) गुर से अनुज्ञा पाकर सान कर के असमान प्रचर वाली कुमारी भा में छोटी अपने चंण को कन्या विवाह । १ । जो माता के बर्थघुओं की ओर ्स पांचवों और पिदृयन्थुभों की शोर से. सातवों हो (उस से यरली पीढ़ी की न हों) ॥ इसमें प्रयर भी छोड़ने लिखे हें भर बिष्ण पुराण को नाई मातृपक्ष से चौथी ओर पितृपक्ष से पांचवों पीढ़ी तक छोड़ना लिख असमानश्रवरावदाह । ऊः द््हो ५ ्प का बी ₹५ न ही पसतमात पदूबन्युस्या बाजनश्र मातूब न्पुभ्य पच्चमादू ॥ (गीत घर ह8९-३ ) समान घ्रवर वालों के साथ विधाद नहीं होता । २1 पित बन्घुओं से और वीजी से सातव के श्रतस्तर और सात वन्घुभों से पांचवें के अनन्तर ( विदाई होना चाहिये . (बीजी से अधिधाय नियुक्त पुरुष है ) । . इस में भी प्ररर का निधेघ है गोत्र का नहीं । तथा पिला की सात पीढ़ी और माता की ओर से पांच पीढ़ी वजिंत की हैं ॥. पर मनु के अनुसार गोत्र का निषेध है प्रयर का नहीं । जैसे-- असांपिण्डा च या शतुरसगोश्रा च या पितु । सा प्रशस्ता द्विजारतीनां दारकमणि मैथुन ॥। (मनु ३1५ ) जो मानता की ओर से सपिण्डा न हो और पिता की




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