अतीत स्मृति १९३० | 1081 Atit-ismrati 1930
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7.28 MB
कुल पष्ठ :
220
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हिन्दू शब्द की व्युत्पत्ति ५
हिन्दू-शब्द की उसत्ति ओर झर्थ एक नए दी ढंग से किया है।
आप ने इस विषय पर, तीन चार वर्ष हुए, बंगला-माषा में एक
लेखमालिका निकाली थी । इसके उत्तर अंश का मठजब दम यहां
पर, संक्षेप में; देते है--
फारसी में हिन्दू-शब्द यद्यपि रूद़ हो गया है तथापि वदद उस
भाषा का नहीं है। लोगों का यद्द ख्याल कि फ़ारसी का हिन्दृ-शब्द
संस्कृत सिन्घु-शब्द का झपभ्रंश है केवल श्रम है। ऐसे अनेक
शब्द हैं जो भिन्न भिन्न भाषाओं में एक ही रूप में पाये जाते है।
यहाँ तक कि उनका अथे भी कहीं कद्दी एक ही है। पर वे सब
मिन्न भिन्न घातुओं से निकलते हैं । उदादरण के लिए शिव शब्द
को लीजिए । संस्कृत में उसकी साधनिका तीन धातुओं से दो
सकती है । पर झाथे सबका एकद्दो, 'अर्थात् कल्याण या मज्जल का
वाचक है। यही 'शिव' शब्द यहूदी भाषा में भी दै। वह अँग-
रेजी झरक्तरों में 366९2 लिखा जाता है। पर उच्चारण उसका
शिव होता है । वद्द यहूदी भाषा में ' शू.' घातु से निकला दै।
उसका अय है “लाल रंग” । यहूदियों में 'शिव' नाम का एक वीर
भी हो गया है। अब, देखिए, क्या संस्कृत का 'शिव' यहूदियों के
'शिव' से मिन्न नद्दी ? लोग सममते हैं कि संस्कृत का “सप्ताह
' और फ़ारसी का 'इक़ा' शब्द एकार्थबाची होने के कारण एक दी
घातु से निकले हैं । यदद उनका भ्रम है। दक़ा एक ऐसी घातु से
लिकला है जो संस्कृत-सप्ताद शब्द से काई सम्बन्ध नद्दी रखता ।
है. लि.
फारसी में से (से ) स ( स्वाद ) स ( सीन ) श (शीन ) ऐसे
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