माध्यमिक भौतिक विज्ञान भाग 1 | Maadhymik Bhautik Vigyaan Bhag 1

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Maadhymik Bhautik Vigyaan Bhag 1 by बी. एन. कार - B. N. Carश्री हरिश्चन्द्र - Shri Harishchandra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सौलिक माएें २१ किसी लम्बाई को नापने के लिए उसका एक सिरा मुख्य पैमाने के शुन्य से मिला देते हैं और वनियर को खिसफा कर उसका दूसरा सिरा वरनियर के दुन्य से मिला देते हैं। वरनियर के शुन्य से पहले मुख्य पेमाने के चिद्ल का पाठ लेते हैं। फिर यह देखते हैं कि वरनियर के किस साने का छोर मुख्य स्केल के किसी खाने के छोर से मिल रहा है। मान लो कि # खानों के वनियर के / वें खाने का छोर संपातित हो रहा है।. अभीष्ट लम्बाईन्नमुख्य पैमाने के पाठ से व्यक्त लम्बाई+-वर्नियर के पाठ द्वारा प्राप्त अतिरिकत लम्बाई का मान घनात्मक वर्नियर में / (न्यूनतमांक और ऋणात्मक में ( हर ) (न्यूनतमांक होगा । (देखो चित्र 7) । ऋणात्मक वर्नियरमें यदि वरनियर के चिह्नों को उल्टी दिशा में (पीछे की ओर) अंकित करें तो वनियर के पाठ द्वारा अति- रिक्त लम्बाई के कलन में कोई अन्तर नहीं आता । इसलिएसुविधा के लिए वरनियर पीछे से ही अंफित किया जाता है। यदि काफी बड़ी उम्बाई नापना हो तो वर्नियर के अधिकतर भाग के स्केल के बाहर खिसक जाने की संभावना है । पं ऐसी स्थिति में धनात्मक वरनि- 8 1५ जी ध्७ न ९ (ननननााााणाणाणज 0 थी रे यरपाठ न द सकगा। पुराने | एप दि रू का ं सना पाता रेट रे ने मेड 2 5 10 । 5 210 25 बरामीहरों मे. दसशछिए िननानलटलिवााणनरपानिननािनि ऋणात्मक बरनियर लगाते थे दि 25 जिससे मुख्य पैमाने के छोर सकल तक का पाठ मिल सके । चित्र 8 इसी प्रकार ऋणात्मक वनियर से बहुत छोटी लम्बाई नहीं निकाली जा सकती क्योंकि इस स्थिति में वानियर का अधिकांश भाग मुख्य पैमाने के शून्य के पीछे खिसक जायेगा । एसी सिद्धान्त पर खिसकवां कछिपर्स ( एव ए10005 ) की रचना की गई हैं। इसमें मुख्य पंमा ना एक इस्पात ढांचे पर बना होता है और उसके लम्बवत्‌ दो लोहे के जबड़े होते हैं। एक ज बड़ा पैमाने के छोर पर स्थिर रहता है और दूसरा खिसक सकता है । खिसकयवां जबड़ पर वरनियर आयोजित रहता है और इसे एक ढिबरी से किसी अभीष्ट रथल पर कसा जा सकता है। दोनों किनारों पर स्केल और वरनियर की व्यवस्था रहती टै जिससे दच्छानुसार सेंटीमीटरों अथवा इंचों में पाठ लिया जा सकता है। खिसकवां जब को आगे की ओर रारकाने से एक पत्ती बाहर लिकल आती है जिसका रानुकीला होता है। यह गहराई निकालने के काम में आती है। कंछिपसं की सहा- यता से चिर्दिप्ट बिधि द्वारा आंतरिक और वाह्म व्यासों का निर्धारण किया जाता है। जब दोनों ज बड़ों को मिला देते हैं तब दोपयुक्त व्यवस्था में मुख्य पैमाने और वर्नियर के शून्य संपातित ( ८०फलंत८ ) होना चाहिए।. यदि नहीं होते तो पाठ लेकर वानि- यर के शून्य का मुख्य पेमानें के शून्य के सापेक्ष विस्थापन ज्ञात कर ते हैं। यदि




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