क्षयरोग | Kshya Rog

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( हु ) इसलिए शेगों का सदैव किसी ऐसे पात्र में धूकना चाहिए. जा इसीलिए बनाया गया हे । पात्र घातु का बना इुआं बहुत ठीक रहता है क्योंकि उसके टूटने का डर नहीं । यह 'पात्र जल से वा किसी अन्य परिशाघक द्रव-पदाथे से आधा भरा रहना चाहिए जिखसे थूक सूखने न पाये । ..... कारसानों, गादामों, रेलगाड़ियेां, दीवानसानां; भाजना- ये, न्यायमन्द्यिं; समाय्थानों, तमाशाघरां, चिड़ियासातों में तथा श्रार ग्रीर ऐसे स्थानों में जहां मजुप्य एकत्र होते हैं, 'चहाँ अनेक मजुदूत, पक्के बने हुए श्रौर चलाड़े सु ह वाले थूक- दान रखने चाहिएँ जा नित्य प्रति साफ़ होते रहें । यदि ऐसा प्रबन्ध किया जाय ते। किसी व्यक्ति को फ़र्श पर थूकने का. खहाना न मिलेगा, जिससे श्रारां की ज्ञान खतरे में पड़े । घर पर रागी के कमरे में, अस्पतालों वा विशेष चिकि- स्लाछयां में केवल ढकनेदार थूकदान रखने चाहिए, श्रार वे तिपाइयें, ताकों वा उठे हुए बकसों में रक्खे रहें । पृथ्वी से काई ३ फ़ीट ऊँची तिपाई पर एक लाकर बक्स बनवा _ छीजिए जिसका स्यूलदार 'ढकना पहलू में खुठता रहे । उस ढकते में एक हढका तामचीनों का थूकदान चाँघ लीजिए । जब आवश्यकता इुई ढकना खेल लिया, श्रार फिर बन्द कर दिया । इस तरकीब से थूक आसानी से थूकदान के अन्दर पहुँच जाता है, ग्रेर वह दिखाई. शी नहां




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