क्षयरोग | Kshya Rog
श्रेणी : स्वास्थ्य / Health
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.95 MB
कुल पष्ठ :
141
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( हु )
इसलिए शेगों का सदैव किसी ऐसे पात्र में धूकना चाहिए.
जा इसीलिए बनाया गया हे । पात्र घातु का बना इुआं
बहुत ठीक रहता है क्योंकि उसके टूटने का डर नहीं । यह
'पात्र जल से वा किसी अन्य परिशाघक द्रव-पदाथे से आधा
भरा रहना चाहिए जिखसे थूक सूखने न पाये ।
..... कारसानों, गादामों, रेलगाड़ियेां, दीवानसानां; भाजना-
ये, न्यायमन्द्यिं; समाय्थानों, तमाशाघरां, चिड़ियासातों
में तथा श्रार ग्रीर ऐसे स्थानों में जहां मजुप्य एकत्र होते हैं,
'चहाँ अनेक मजुदूत, पक्के बने हुए श्रौर चलाड़े सु ह वाले थूक-
दान रखने चाहिएँ जा नित्य प्रति साफ़ होते रहें । यदि ऐसा
प्रबन्ध किया जाय ते। किसी व्यक्ति को फ़र्श पर थूकने का.
खहाना न मिलेगा, जिससे श्रारां की ज्ञान खतरे में पड़े ।
घर पर रागी के कमरे में, अस्पतालों वा विशेष चिकि-
स्लाछयां में केवल ढकनेदार थूकदान रखने चाहिए, श्रार
वे तिपाइयें, ताकों वा उठे हुए बकसों में रक्खे रहें । पृथ्वी
से काई ३ फ़ीट ऊँची तिपाई पर एक लाकर बक्स बनवा
_ छीजिए जिसका स्यूलदार 'ढकना पहलू में खुठता रहे । उस
ढकते में एक हढका तामचीनों का थूकदान चाँघ लीजिए ।
जब आवश्यकता इुई ढकना खेल लिया, श्रार फिर बन्द
कर दिया । इस तरकीब से थूक आसानी से थूकदान
के अन्दर पहुँच जाता है, ग्रेर वह दिखाई. शी नहां
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