आर्य भाषा और संस्कृति | Aarya Bhasha Aur Sanskrit
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.23 MB
कुल पष्ठ :
193
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पं ० रामकृष्ण शुल्क - Pn.Ramkrishan Shulk
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भाषातित्व शहर
पा आई , 'सनमें यह विचार शाया' आदि उदादरणों
में 'झाना” क्रिया, बक््तोदिश्य संचलन-कम के सादश्य पर
विभिन्न अवस्थाद्षों की अभिव्यक्ति स्वतंत्र रूप से कर
रही है। इस प्रकार के प्रयोगों द्वास भापा झपने शब्द-
दारिंद्रय की अवहेलना करती हुई झपने को बराबर समर्थ
ब्फौर व्यापक, झधिक से अधिक भाव-व्यंजक, बनाए
रखने की चेा करती है। संस्कृति के अधिक विकास के
साथ तो उसकी यही प्रदनत्ति उसका गोरब बन जाती है !
भाषा में अलंकारों की व्याप्ति उसकी इसी सामध्य-प्रबूत्ति
की सूचक है ।
इतना हो नहीं, उपयोग और व्यापकता को सापेश्तसा
में यह जहाँ नई व्यापिनी आवश्यकताओं के लिए कुछ नए
श्रयोगों को स्वीकृत करती हैं वहीं वह पुरानी और बहु-
परित्यक्त आवश्यकताओं के वोघक अपने बहुत से शब्द-
भार को हलका भी करती जाती है । यह भी उसका एक
अ्रगत्तिनिर्देशक गुण दी है; अवशुण नहीं । कुछ तो 'झपने
बोलनेवालों के जीवन-विस्तार के कारण, और छुछ दूसरी-
दूसरी संस्कृतियों के साथ संयोग होने से, नई-नई अवश्य-
कृताओओं का आगमन या सूजन हुआ करता है और उनकी
नवीसता में बहुत-सी पिछली झावश्यक्तारँ जीणे॑ और
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