हिंदी शःब्दार्थ - पारिजात | Hindi Shabdarth Parijat

Hindi Shabdarth Parijat by चतुर्वेदी द्वारका प्रसाद शर्मा - Chaturvedi Dwaraka Prasad Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कक घ्ाजन तत्‌० (पुन ) सुरमा, काजल, का दूव्य, झष्जना, शोभना, काजल लगाना, विशेष । ध्पजना या घ्यजनी तत्‌+ ( खी० दिग्गज की. हर गभ से महावीर हनुमान ही उत्पत्ति हुई थी । :-द्वि तत० (पुन) पते विशेष, ।-- (निस्द्न लत (पुन) इचुमान जी । [का जोड़ घजर-पञश्चर दे» (स्थ्री०) देव शरीर श्रज्नलि, झजली तत्‌० (स्त्री८) हाथ जोएं, हाथ का सम्पुट, झंजुरि, दोनों हाथों का ऐसा जाइना जिससे बीस से अवराश रदे । परिमाण चिशेष [न कम सुशी कला, प्रयास, नमस्कार, जिनय करना 1 वन्घन (नत्‌०) हाथ जाइना, करसम्पुट नमस्कार, नखता प्रदेशित करने की सुद्गा । भ्जसा तल ( धन) शौघ्रता, शीघ्रता से, बेगी । श् कह मनु न्यू कं मी रु घ्जही ० (स्त्री०) भ्रन्न की मण्डी | वाली । घ्ड्ुरी दे० (सुत्री० ) धंजलि |. [ विशेष, प्रियालु । घ्च्जीर तदू० (पृ ) भ्रखार नामक बूक्ष का फट ध्यजोर दे« (पु) उजेंला, प्रकाश, रोशनी, चाँदनी | ध्ब्म्का तदू (५०. अनध्याय, छुट्टी, अवकाश । ध्यटक तदु० (स्त्री ) रोक, वारण, रुकावट डालना, '्रटक ना । भारतवंष की पश्चिम'सर सीमा प्रान्त के पूक नगर का साम सिन्घु नदी का दूसरा नाम । घेर तदु+ (गुन्) एक ग्राम का नाम 1--नस दे (पुर) उसका शटक नाम पढ़ा, क्योंकि बहाँ जाकर कोग व देन (स्त्री- ) अनुमान, है। कहते हैं कि सिन्घु नदी के प्रबल यंग के कारण विचार ।-- 1ना दे ( क्रि० ) रोकना, छेकना बारण करना, क्रिसी काय में विन्न ड्ाएना । व दे (पु) सुषावट, प्रसिबस्ध । बिना प्रमाण, बिना ठोर ठिकाने, निश्चित | घटकर या ध्टकल दे० (स्थ्री० ) अन्दाज़ा | घ्टका तदू० ।ए०) मिट्टी का पात्र विशेष, शी जगन्नाथ जी का प्रसाद | [ प्रतिबंध : बनी, वानरी विशेष, हनुमान . की माता का नाम, अजनी नाघ्नी वानरी के . हर # सें कमाने न घान्य भ्मटरस्वेत्त तदू ० चंचल । नी एँस्री-) चलता, डिठाई, चंचक्षत्व । घ्यटठ तदू० (यु०) मोटा, पोढ़ा, दृद । | यात्रा | बटन तत्‌० (पुष) फिरना, चजना, घूसना, आम, घना तदू० (क्रि०) समाना, सर ज्ञाना, घूमना, फिरना । घ्रठपट तदु० (पुल) अनियसित टेढ़ा, बाँका, दर 1 नये (स्त्रो०) तिरछी, एड़ी टेढ़ी, बेंढंगी, कठिन । घ्यटव्बर दे० (पु०) श्राउस्वर, खानदान, परिवार ! घाटम तदु« (प्ू०) राशि, ढेर, बटारा । घ्टत्त तू (गुन्$ दृढ़, पोढ़ा, झचत्, नहीं टलने बाला 1 गुलाइयों के एक अखाड़े का नास । ध्टवी तत्‌० (स्री० ) बन, जंगल्नल, गहन, कानल, भयानक जंगल, हिंख जम्तुद्ों का वास स्थान | (यु०्) बहुत खेनरने वाला, खिलाड़ी ' झठा तदु० (स्त्री ) कोठा, ऊपर की कॉठरी, सब से ( वि० ) नाज न । घ्ठकाव तदू ( पु० .) विज्न, वाघा, रोक रुकावट, | धटीत तदु० (पुर) 'अधिकन, त्पच्यू | ऊपर का कमरा । ध्दाटूट दे० (बिन) नितान्त, बिलकुल | ध्यठारो (स्त्री ) देखो शा | घ्ाठात्त दे० (पुन) खुज़, घरहरा । [ असबाव । घ्यठातता तदू० (पुन) खटतला, दर, सामग्री, सामान, घटिया तदू (ख्री ) छोटी मड़या, सोपड़ी, छोटा मकान, पणकुटी 1 घटूढ तदु० (गु०) बहुत पोढ़ा, नहीं टूटने वाला, नहीं घटने वाला, सम्पूर्ण, पूरा, कुल 1 | झडेक तदु० (गु*) टेक नहीं, सिराश्य, पहेश्यनहीस, अष्ट प्रतिक्ष । फेटी, चरखी ।--नी दें (क्रिप्ते फटा बसानों, रोलाकार बनाना, सोहना [ बनाना घ्रेरना (क्रि०) सोइना, श्टेरन से सूत की फेटी सभ्य, अनाएी, ' जंगली, बर्वर | घट्टहास तत्‌ (पुर) बहुत हँसना, खिलखिटा कर हसना कुहकुहा सारना । घटा त्िको तत्‌० (ख्रीन) श्ट्टाट, 'प्रटारी, राजसूह, प्रसाद, घबरागार, बड़ा मकान, हम्य | घ्यट्ठा (पु०्) तास का एक पत्ता | न




User Reviews

  • rakesh jain

    at 2020-12-04 13:35:55
    Rated : 8 out of 10 stars.
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