पहली कहानी | Pahali Kahani
श्रेणी : कहानियाँ / Stories, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.02 MB
कुल पष्ठ :
226
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सप्रताय वी तरह एक वर्मा संप्रदाय भी रहा है । श्री वर्मा का आरोप यह सिद्ध
करता है कि जभी वह सप्रदाय जीवित है क्योकि यह संप्रदाय 'पुक्लजी की मजद्भुत
दीवाल से सिर टव राता रहा है । या नर्प्रल झक मे प्रकाशित पाठयां के हो पत्ता ने
गएव टावरी भर मिट्टी के इस टावे को कि वह हिंदी की पहली मौलिक बहानी
है, रही को टोकरी में फेंक दिया है ।
मेरे विचार से हिंदी वी पहली कहानी “प्रणयिनी प रिणय' है जिसे किशोरी-
लाल गोस्वामी न सन् 1887 मे लिखा था। सन 1850 1900 और कुछ उसके
वाद तक क्थासाहित्य (फिक्शन) को उपयास कहने का चलन था। सन
1900 में 'सरस्वती में छपी कहानी को भी उठाने अपने 'उपयास पत्र में
'उपयास कह कर ही छापा है। इसमे नो प्रमियों वी कहानी कही गयी है । प्रेमी
ब्रेमिवा के घर मे प्रविप्ट होने का प्रयत्न कर ही रहा था कि राजा द्वारा चोर
समझे जाने के कारण पवड लिया गया। क्तु राजा ने दोनों के प्रगाढ़ प्रेम वा
परिचय प्राप्त करन के वाद उनका विवाह करा दिया ! इस पर कथा सरित्मागर
का प्रभाव मालूम पडता है क्तु कहानी में यदि एक ही सुन प्रेरव भाय होता है
तो यह हिंदी की पहनी कहानी ठहरती है। इसमें जाशिक रूप में जन जागरण
का चित्रण हुआ है। तापय यह है कि यह नपने परिवश से जसपक्त नहीं है ।
यदि “प्रणयिनी परिणय को भी छाप दिया जाये ता ज्यादा अच्छा हो ।
- डा वच्चन सिंह, वाराणसी
(मई, 1968 वी 'सारिका से)
प्रसिद्ध उपयामरार दंववीनदन खत्नी मे सन 1900 मे काशी से सासिव
“सुदशन' का प्रवाशन आरभ क्या था जो सन 1902 में बद हो गया । इसमे
'भिवानी के पे साधवप्रसाद मिश्र की 'मन की चचलता नामक प्रथम कहानी सन
1900 मे प्रकाशित हुई थी । बाद में मिश्रजी की अयय बहानिया भी 'सुदशन' थे
निकली । 1918 मे मिश्र निकेतन, भिवानी से सिधजी की इन कहामियो का
संग्रह 'जाख्याधिका संप्तक' ने नाम से प्रकाशित हुना ।
उी वर्षों मे 'उपयास तरग' (1897), उपयास' (1898), 'उपयास
'माला' (1899), हिंदी नावेल' (1901), 'जासूस (1901), 'उपयास लहरी'
ई902), उपयाल सागर (1903), उएयास कुुसावली (/904). गुय्तचर'
(1905), आदि कहानी प्रधान पत्र निकले है । इनम प्रराशित हानेवाली कुछ
बहानिया तो अबदय मौलिक होनी चाहिए । इन पत्र पत्लिकानो वी पुरानी जिल्टों
वा अध्ययन क्या जाये तो हिंदी की प्रथम मौलिय व हनी के प्रश्न का समाधान
अवश्य मिल जायेगा । नर -उवेंब टलाल ओझा, हैदराबाद
रे दर्द ््िशहूट पी सारिया स)
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