प्रतिष्ठा पाठ का कथन | Pratishta Path Ka Kathan
श्रेणी : कहानियाँ / Stories, जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.87 MB
कुल पष्ठ :
84
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( रद )
जग पांवेंगे ब््यंतरादिक ' कुँदैवन का चमत्कार
प्रति भासेगा स्वस्धर्म कूं छोड़ कर सब ही
लोक उनसस माग में धर्सेंगे अब श्राप असा
झद्धि धारके मुनिराज का नाम सो हमरों
घड़ा आश्चर्य है तद कवेली वर्शन करते भायें
ऐसे 'मुनिराज 'विरले होते हैं झाज्ञा का थ्में
स्कार कर: समान आयें खंड में चमत्कार दाय
हिय वो करेंगे बे स्वर्ग वासी देव के मी
हैं यहां सभा में रवि प्रंभ' सुर्य प्रभु देव
हैं तिनका वे. 'आगले भव के ' भाई हें ऐसी
शब्द होते दोये देवे श्री भगवन्त के
निकट आये नमस्कार' कर सकल व्याख्यान
पूंछा- और मुनिराज॑का ' दर्शन 'करणे वास्ते
_ रामगिरि ऊपर आवते भये जिस वक्त देव आये
ता समप में राजि ढी तद सुनिराज कु नमस्कार
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