भारतवर्ष का इतिहास भाग 1 | Bharat Varsh Ka Itihaas Vol I

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : भारतवर्ष का इतिहास भाग 1  - Bharat Varsh Ka Itihaas Vol I

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about प्रो ० वेदव्यास - Pr .Vedvyas

Add Infomation AboutPr .Vedvyas

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
प्राचीन युग २१ हैं। कालान्तर में उन्हों ने अपनी घाटियों को सम्रद्ध, सुसम्पन्न मिट्टी की उपजाऊ तह से ढक लिया | ये अनन्त और शाश्वत जल-राशि के ख्रोत हैं । इन्हीं की बदोलत नहरों से आश्चर्य जनक सिंचाई सम्भव हो गई है। इस के शतिरिक्त ये पर्वत बी उत्तर की ओर से श्माने वाली ठण्डी हवाओं को रोकते हैं और महासागर की ओर से आते हुए मानसूनों को उत्तर की ओर जाने से रोकते हैं । उत्तर-पश्चिम की ओर जाकर पव॑त-मालाएँ: दक्षिण की ओर कुक जाती हैं और सुलेमान पर्वत-श्रेणी तथा अन्य पर्वतों को जन्म देती हैं, जो भारत को अफगानिस्तान और बिलोचिस्तान से अलग करते हैं । पवत-मालाओं के वीच २ में दरें बन गए हैं जिनमें से होकर हमला करने वालों के दल के दल इस '्ोर भारत के उपजाऊ देश पर श्भधिकार करने के लिए आते रहे हैं । ये दें सिंध की आर जाती हुई नदियों की घाटियों के कारण बने हैं । उन के नाम॑ भी धिकतर . उन नदियों के नाम पर ही हैं । सब से मशहूर दर्सो में से एक दर्री .खैबर का है जो काबुल से पेशावर तक काबुल नामी नदी की घाटी के साथ-साथ जाता है । दूसरा दर्री कुरंम का है, जो कुरंम नदी की घाटी से बना दे झौर अफगानिस्तान से बननू तक का मार्ग खोलता देदुसवाटिग है। एक दी टोची नदी की घाटी का है जो ग़जूनी को अगरेज़ी राज्य की सीमा से मिलाता दे । गोमल का दर्ग डेरा इस्माइलखां तक है और वोलन का दर्रा




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now