आदर्श हिन्दू भाग १ | Aadersh Hindu Part 1

Aadersh Hindu Part 1 by मेहता लज्जा राम शर्मा - Mehata Lajja Ram Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( है ) देश श्रहण करने के बदले कूठी दुनिया के झूठे श्रौर बनावी तमाशे देखने के लिये इस नणर के स्त्री चुरुष श्रौर घालक वोड़े जा रहे हैं । जाने में उनका दोष नहीं । मचुष्य जाति बबाधर पसंद है।यदि बनावट पसंद न होती यदि प्रकृति के लो किया सौंदर्य देखने के लिये भगवान ने उसे श्राँखें दी होतीं यदि सितार की दुनुन दुचुन श्रौर तबले की घप घप सुनने के बदखे बह ईश्वर की इस अनंत सृष्टि में ऐसी जगह बैठ कर श्रपने झपने घौखले में जाकर बसेरा लेनेबाली चिड़िया का चक साफ सुभने की इच्छा करती तो शायद संसार के डानंत झाउंबर का खोड़- शांश भी न रहता। फिर उसे किसी की खुशामद न करनी पड़ती किसी की भिड़कियां बे खानी पड़तीं झौर न काम कोघ सोभ श्र मोह जैसे प्रवल शत्रु दु्दमनीय रिपु उसका शालें ब्याका करने पाते । झत्तु मेले तमाशे ने इस जनशूत्य पबंतखंड को श्राज श्र भी जनशुस्य कर दिया है। श्राज यहां दो जननी के खिवाय कहीं कोई श्ादमी दिखलाई नहीं देता । चाहे कोई सोख से पढ़ें परंतु इन दोनी के झंत-करण में न मालूम कुछ सय है झथवा शुंक्रा है ककि ये दोनो इन कुर्सियों को छोड़कर इस एकांत खान में भरशिक एकांबता पाये के लिये शकाण जी शक खूनी चद्दाव पर जा बैठे हैं । घोर शंका कोई हो तो हो की कि वे दोनो चोर नहों डकैत चहीं श्रौर खूनी सहीं जो किसी को डर कर एकांत ग्रहण करें क्योंकि जब मुख ही झंतः-




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