नागरिक शास्त्र के सिद्धान्त | Naagarikashaastr Ke Sidhdaant

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Naagarikashaastr Ke Sidhdaant by राजनारायण गुप्त - Rajnarayan Gupta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ ८ राज्य श्रौर संघ का श्ंतर राज्य श्रौर सरकार का अंतर राज्य तर राष्ट्र का झंतर राज्य शऔर देश का अंतर क्या उपनिवेश राज्य हैं ? राज्य की श्रावश्यकता राज्य सभ्य जीवन की पदली दशा है राज्य की श्राज्ञा पालन करना क्यों ्रवश्यक है चष्ठ २११ झध्याय १२- राज्य की उत्पत्ति--दैवी सिद्धान्त शक्ति सिद्धान्त नयी हर च्ञ््का तर कु सामाजिक समभौते का सिद्धान्त बिकासकदी सिद्धान्त पितृप्रधान सिद्धान्त मावृप्रधान सिद्धान्त राउब निर्माण के श्रंग पृष्ठ २३२ १३--साव॑भौसिकता--सार्वभौमिकता का अर्थ सार्वमौमिकता के अंग सार्वमौमिकता की... परिभाषाएँ ... सावंभौमिक सिद्धान्त की श्रालोचना सिद्धान्त का श्रौचित्य सार्वभौभिक सत्त] के प्रकार पुष्ठ र४८ १४--क्रानून- कानूनों का स्वभाव कानूनों के .कार कानून और नैतिकता भौतिक तथा सामाजिक कानून कानून के स्तोत्र श्रच्छे श्रौर बुरे कानूनों में अंतर वह अअवस्थाएँं जिनमें नागरिक कानूनों की शवहेलना कर सकते हैं पृष्ठ र६० १५--राज्य का संिधान- शासन संविधान का शथ संविधान की आवश्यकता पंविधानों के प्रकार विकसित श्रौर निर्मित संविधान लिखित श्रौर श्रलिखित संविधान परिवतनशील श््रौर श्रपरिघर्तनशील संविधान एकात्सक झौर सधघात्मक संविधान . संघात्मक संविधान की बिवेचना पृष्ठ २७५४. १६--राज्य और शासन का वर्गीकररण--वर्गीकरस का झाधार श्रस्तू का वर्गीकरण शासनों का प्राचीन वर्गीकरण राज- तंत्र कुलीनतंत्र तथा प्रजातस्त्र शासनों के गुण श्रौर दोष तथा उनकी विस्तृत क्विचना प्रजातंत्र का व्यापक श्रथ




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