तीन नाटक | Teen Natak

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्र सकते हैं । मनु की समाज व्यवस्था का प्रभाव केवल भारतवर्ष पर ही नहीं पढ़ा भारत के वाहर बैबीलोनियन कैल्डियन यहूदी चीनी यूनानी ईरानी तथा प्रशान्त मद्दासागर के द्वीपपुजों में बसनेवाली श्रन्य जातियों पर भी पढ़ा है । यज्ञ श्और झग्नि के प्रथम आविष्कारक मनु का प्रभाव उनके निर्मित समाज- विधान अब भी यत्रतत्र प्रचलित हैं श्रौर राज्य-निर्माण राजा की उत्पत्ति उसके अधिकार तो स्पष्ट ही भारत में न हीं संसार भर में मनु के निर्दिष्ट मार्ग पर ही चले हैं । इन मनु को उत्पन्न हुए कितना समय वीता यह नहीं कहा जा सकता । आज के ऐतिहासिकों में जहाँ स्वयं इतने पीछे जाने की क्षमता नहदीं है वहाँ पुराणों के पीछे चलने में भी वे अपने को श्रसमर्थ पाते हैं । यह हमारे देश का सबसे बढ़ा दुर्भाग्य है कि हम अनुश्रुतियों गाथाओओं में बिंखरे हुए शपने इस महान्‌ व्यक्ति को ज़रा भी नहीं पहचान पाये श्और उनके द्वारा परंपरागत प्रकाश की रेखाएँ ढूंढने में असमर्थ रहे हैं । यह दुःख उस समय तो श्र भी अधिक बढ़ जाता है जब हम पाश्चात्य ऐनकों से देखकर ही अपने व्यक्तियों का मूल्य आँकते या उन्हें रिजेक्ट कर देते हैं। मनु तो बहुत दूर की वात हे हम इतिहास के मध्याह्म कालमें उगनेवाले कई महान्‌ नच्छनत्रों का प्रकाश भी स्वीकार नहीं कर पाते । मनु इसीलिये इतिहास द्वारा पूर्णतया स्वीकार न किये जाने पर भो भारतीय गगन के बहुत ही देदीप्यमान नक्षत्र हैं । जिनके प्रकाश से अब तक संपूर्ण ्रार्य-संस्कृति आलोकित होती रही हे । श्रतएव मनु के जन्म संवत्‌ को खोजने की मैं श्रावश्यकता भी नहीं समकता | मेरा काम तो चित्रकार की तरह उस काल का सांस्कृतिक चित्र उपस्थित करना है जिस समय मानव-जाति श्रज्ञान की रात्रि के ब्राह् मुहूर्त में श्रंगढ़ाइयाँ ले रददी थी । श्र श्रपने सामने चारों श्रोर श्रैचेरा ही ऑँवेरा देखकर न जाने क्या सोच




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