मार्क्सवाद | Markswaad

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Markswaad by यशपाल - Yashpal

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about यशपाल - Yashpal

Add Infomation AboutYashpal

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
समाजवादी विचारों का श्यारम्भ ७ होने श्र दूसरों के हाथ पैदावार के साधनों के न रहने के कारण उत्पन्न होनेवाली असमानता श्र विषमता का रूप इतना विकट नहीं हुआ जितना कि पैदावार के साधनों का श्रधिक विकास हो जाने पर होगया । मनुष्य-समाज की बिलकुल श्रारम्मिक अवस्था को छोड़कर जबकि मनुष्य बन के फलों श्र बन के पशुओं के मांस पर ही निर्वाह करता था पैदावार का साधन खेती की मृमि या बन ही थे । उस अवस्था में पैदावार के साधनों की मिट्कियत का अथ भूमि कौ मिट्कियत था । उस समय मनुष्य के साधन बहुत सीमित थे इसलिये एक सीमा तक ही वह अपने अधिकार को भूमि पर फैला सकता था । इसके अलावा भूमि की पैदा करने की शक्ति की भी एक सीमा है। इन सीमाओं के कारण भूमि के रूप में मनुष्य के हाथ में श्रा जाने वाले पैदावार के साधनों की भी एक सीमा थी । जो लोग निजी भूमि न होने से भूमि के मालिकों की ज़मीन पर खेती करते थे वे एक सीमा तक ही पैदावार कर सकते थे । इसलिये उनसे उठाये जाने वाले लाभ की भी एक सीमा थी। भूमि से उत्पन्न होने वाले पदार्थों के लिये भूसि के एक ख़ास क्षेत्र पर खेती करनी दी पड़ती थी श्रौर उसके लिये मनुष्यों की एक ख़ास संख्या की ज़रूरत रहती थी । उस समय बहुत से मनुष्यों का काम कम मनुष्यों से नहीं निकाला जा सकता था । इसलिये पैदा- वार के साधनों से हीन बेकारों का प्रश्न उस समय नहीं उठ सकता था | बेकारों अर्थात्‌ फालतू आ्रादमियों के न होने से पैदावार की साधन मूमि के मालिक के लिये ऐसे झ्रादमियों को चुन लेना सम्भव नहीं था जिन्हें अपनी मेहनत का कम से कम भाग स्वयं लेने और शधिक से अधिक भाग मालिक को देने के लिये विवश किया जा सके । उस समय यदि साधनहीन मेहनत करनेवालों को पैदावार के साघन--मूमि का उपयोग न करने देकर पैदावार के दायरे से बाहर कर दिया जाता ज््ड तो उससे पैदावार की सिक़दार में कमी आये बिना नहीं रद्द सकती




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now