दमा से छुटकारा | Dama Se Chutkara

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Book Image : दमा से छुटकारा  - Dama Se Chutkara

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१४ पकड़कर नाक के किसी भी छिद्र से धीरे-धीरे प्रवेश कराना चाहिये, जसे डीरी अन्दर जावेगी वंसे नाक सेगेछके आना अथवा आँखों से पानी बहना चालू हो सकता है । डोरी जंसे ही गले तक पहुँचती है तो जा मिचलाने (कं थाने) सा लगता है । डोरी को गले से पेट की ओर जाने देने के वजाय एफ हाथ की दो अंगुलियो (मध्यमा व तर्जनी) की सहायता से मुह द्वारा धीरे-धीरे मुह से बाहर निकालना चाहिये । डोरी का एक सिरा नाक से बाहर रखना है और दूसरा सिरा नाक से प्रवेश कराकर मुह से निकालकर थोडा अन्दर बाहर कर, वापिस नाक द्वारा ही बाहर निकालना चाहिये । नाक के भीतरी भाग मे काग (एपाए1.2' के पीछे और गल ग्रन्थियो के पास का कफ नेतिं क्रिया से उखडकर बाहर निकलता है 1 वहाँ से कफ साफ होने से मस्तिप्क हल्का होता है । आँखों को राहत मिरती है तथा इवाँस लेने में (नाक द्वारा) कठिनाई नही रहती है । सूत्र नेति से नाक के अदर मस्से हड्डी का टेढापन: छिद्रो की सिकुडन आदि पीडाएँ दूर होती है 1 . नेति क्रिया नहीं करने से नाक. गला, आँखः कान एवम्‌ गलग्रन्थियो के पास जो कफ रहता है वह दवाँस लेने, जछ पीने अथवा भोजन करने से दारीर के भीतर जाता रहता है और पाचन क्रिया अथवा रक्त को विगाड़कर राग उस करता है | श्रावश्यक सावधानियों-- जल नेति चालू करने से दो चार दिन तक सर्दी हो सकती है परन्तु घबराना नही चाहिये । नेति चालू रखने से सदी ठीक हो जाती है भौर फिर कभी नही होती है । हर प्रकार की नेति क्रिया प्रातः खाली पेट के समय करनी चाहिये और नेति क्रिया प्रतिदिन की सकती है । नेति क्रिया करने बाद प्रत्येक नाक के छिट्ठों में दो तीन बूंद शुद्ध सरसो का तेल, देशी घी या वा दाम का तेल डालना चाहिये ।




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