भासनाट कचक्रम भाग २ | Bhasnaat Kachkram Bhaag 2

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Bhasnaat Kachkram Bhaag 2 by सुधाकर मालवीय - Sudhakar Maalviya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पटका उसने साश्चये देखा कि उस लड़की के शरीर का एक भाग भूमि पर पड़ा हैं जीर दुसरा आकाश में अनेक त्तीक्ष्ण शस्त्रास्त्रों से सुसज्जित दिखायी दे रहा है । देवी के पापंद कुण्डोदर, शुल,नील, मनोजब आदि उपस्थित हो अपना पराक्रम बताते हैं और देवी के आदेश से ग्वालों के घर. जन्म लेते हैं । इतने में सत्रि समाप्त हो जाती है जीर कंध दुःशक्रुन की शात्ति के लिए शान्तिकर्म करते के लिए पुजा-गृह में जाता है । तृतीय अक्छु--- इस जज के आरम्भ में प्रवेशक की संघटना से प्रेक्षकों को सूचित किया गया हैं कि जब से चलल्दंगोप को पुत्र हुआ है तब से गोवन और उनके दूध में महान वृद्धि हुई है | उसका पराक्रम आपचयेजनक हैं। उसने बचपन में ही पृतना, शकट, पेनुक, केशी आदि दानवों का वध कर डाला तथा यमलाजुन को गिरा दिया। संकर्वण (बलराम) ने प्रलस्वासुर का वच कर दिया। प्रवेशक समाप्त होने पर श्रीकृष्ण गोपालों जौर, गोपकन्याओं के साथ हल्लीसक नृत्य करते हैँ। इसी समय अरिण्टर्षसम नामक दानव वहाँ वृषभ्न रूप में श्रीकृष्ण को मारने के लिए. आता है जिसे देखकर गोप और भोवृत्द सब भयभीत हो जाते हैं) कृष्ण गोप-गोपिकाओं को जलग हठा कर उस दानव से भिड़ जाते हैं और उसका वध कर देते हैं। इसके वाद ही दामक नामक गोप ने श्रीकृष्णा को सूचना दी कि यमुनाकह्ृद में कालिय नाग ऊपर उठ बाया है-बह सुनकर बलराम जी उसका दर्षप्रणमन करने के लिए उधर दीड़े गये हैं। श्रीकृष्ण मी ऐसा सुनकर उधर ही चल देते हैं । चठतुथे अड्छ--- भगवान्‌ श्री कृष्ण यमुना छूद में प्रवेश करना चाहते हैं किल्तु अनिष्ठट की आशडूप से अस्त गोपिकाएँ उन्हें मना करती हैं। श्रीकृप्ण ओर वलराम उन्हें सान्त्वना देते हैं। श्रीकृष्ण यमुना छूद में कूद पड़ते हैं। और वे कालिय नाग के फणों पर आरूढ हो जाते हैं। कालिय उन्हें मपने विपज्वाला से भस्म करने की चेष्टा करता है किल्तु अन्त में शीकृष्ण क्षी प्रभुता से पराभूत होकर शरणागत हो जाता है । श्रीकृष्ण के पूछने पर कालिय नी




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