मोतियों का खजाना | Motiyon Ka Khajana

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : मोतियों का खजाना  - Motiyon Ka Khajana

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about दुर्गाप्रसाद खत्री - Durgaprasad Khatri

Add Infomation AboutDurgaprasad Khatri

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
न 'आाठयां दिस्णा ६: २७ कीणट० 1 तें। शादी से इन्कार कर दी जिये ॥ ) *८ छालबर्ट०.में/भारी तरददुद में पड़े गया हूं, 'बहुत सोचने पर भी यह नही निश्चय कर सकता कि इस समय कृग्रा।करणा उचित- है कांउणट [क्या शाप सुझे मदद नही देंगे! कया शाप सुके सुनासिव सलाह नही देगे:! मैं ते सेप्रकता-हू/कि पनी मां के दुःखो करने की घनिरुंबत झपने;पिंता के निराश करने की जे।खिस उठाना सुफे पसन्द होगाह॥ 7 ४४ 77०७, ५ कौण्ट ने इस नाजवान की झ्ाखिरी-बारत झुन कर झप्रना चेहरा घुसा लिया। इसमें के ई सनन्‍्देह नही कि इस बात ने उस पर के ई गहरा शसर,|किया था । लिसकी निगाह डित्नेकी तरफ गई,.जे।' कंमरे के दूसरे, सिरे पर शक पेन्सिंल और कांगज हाथ में लिये बैठा हुआ था] फीणट ने यह देख कहा, ““क्या साहब | शाप क्या कर रहे,हैं.[ कया इस तस्वीर की नकल उतार'रहे हैं (१? 7 ॥ » 'डिब्रे०। नही नही:मैं तस्वीर नहीं बना रहा.बल्फकि हिसाब जेड़ रहा हूँ॥ 7 17 या ण०। / हा ७४ क्लौयट०1 हिसाव [| , | ४ ४४ +. डिब्रे०) जी हा।हिसाब ही | (झलर्थट से) यह तुम्हारे भी कुछ, मतलब की.बातः है-मैं जेड रहा।हूं कि शाज- कहा में हेटी # के सरकारी क्रॉगज को दर में जे।' चढ़ा रू ....).3.. लिया 555 3 ै६++- + पे हूँ 0 + 7 क दृंदी--पद वत्ट इन्दीश फा एक टापू दे,यशा प्रजा तप राज्य ह-1 शिक्त सरद हिन्दुस्तान की सरकार प्रामेसरी नोट निकाल कर 'कर्न लतो है उसी तरई? और झोर सरकारें भो कर्ज क्षिया करती हैं छोर यन्हों कागेशों को सरकारों




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now