मोतियों का खजाना | Motiyon Ka Khajana

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Motiyon Ka Khajana by दुर्गाप्रसाद खत्री - Durgaprasad Khatri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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न 'आाठयां दिस्णा ६: २७ कीणट० 1 तें। शादी से इन्कार कर दी जिये ॥ ) *८ छालबर्ट०.में/भारी तरददुद में पड़े गया हूं, 'बहुत सोचने पर भी यह नही निश्चय कर सकता कि इस समय कृग्रा।करणा उचित- है कांउणट [क्या शाप सुझे मदद नही देंगे! कया शाप सुके सुनासिव सलाह नही देगे:! मैं ते सेप्रकता-हू/कि पनी मां के दुःखो करने की घनिरुंबत झपने;पिंता के निराश करने की जे।खिस उठाना सुफे पसन्द होगाह॥ 7 ४४ 77०७, ५ कौण्ट ने इस नाजवान की झ्ाखिरी-बारत झुन कर झप्रना चेहरा घुसा लिया। इसमें के ई सनन्‍्देह नही कि इस बात ने उस पर के ई गहरा शसर,|किया था । लिसकी निगाह डित्नेकी तरफ गई,.जे।' कंमरे के दूसरे, सिरे पर शक पेन्सिंल और कांगज हाथ में लिये बैठा हुआ था] फीणट ने यह देख कहा, ““क्या साहब | शाप क्या कर रहे,हैं.[ कया इस तस्वीर की नकल उतार'रहे हैं (१? 7 ॥ » 'डिब्रे०। नही नही:मैं तस्वीर नहीं बना रहा.बल्फकि हिसाब जेड़ रहा हूँ॥ 7 17 या ण०। / हा ७४ क्लौयट०1 हिसाव [| , | ४ ४४ +. डिब्रे०) जी हा।हिसाब ही | (झलर्थट से) यह तुम्हारे भी कुछ, मतलब की.बातः है-मैं जेड रहा।हूं कि शाज- कहा में हेटी # के सरकारी क्रॉगज को दर में जे।' चढ़ा रू ....).3.. लिया 555 3 ै६++- + पे हूँ 0 + 7 क दृंदी--पद वत्ट इन्दीश फा एक टापू दे,यशा प्रजा तप राज्य ह-1 शिक्त सरद हिन्दुस्तान की सरकार प्रामेसरी नोट निकाल कर 'कर्न लतो है उसी तरई? और झोर सरकारें भो कर्ज क्षिया करती हैं छोर यन्हों कागेशों को सरकारों




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