व्यक्तित्व अर्थात प्रभावशाली जीवन | Vyaktitv Arthat Prabhav Sali Jivan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Vyaktitv Arthat Prabhav Sali Jivan by भाईदयाल जैन - Bhaidayal Jain

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about भाईदयाल जैन - Bhaidayal Jain

Add Infomation AboutBhaidayal Jain

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
३-आत्म-ज्ञान « झत्म-शान, आत्म सम्मान और आत्म म्रयम ही मजुप्यका मद्टठती द्ाक्तिवा और छे जात है 1” ++डैनीसन । ४ अनुध्यम अपगा मदत्त्व समझ उने दा, प्रि बह सम बल्तुओंका अपने पेरा कफ मीचे पर ऐेगा, अपने वशम कर लगा | +-+हमसन 1 आल पिना साया व्यक्तित्व प्राप्त नहीं हो सकता [| इस लिए प्रत्यक आदमीका मन, वचन ओर तनसे छेसा व्यवद्वार करना चाहिए जिसको वद अपने जीवनमें बुरा न समग्रेतथा जिससे उसे छज्ञलित न होना पडे। जब फोई आदमी अपने सम्मानकी स्वय ही परवाह नही करता, तव धद्द अपने सायियोंसे अपने सम्मानकी फैसे आश्या फर सकता हे ? इस लिए यद्द बहुत ही सावश्यर हे कि चद्ध अपने आपको जाने और अपना पान प्राप्त फरे। आत्म क्षान फेचल अपने अभ्यन्तरको देखने तथा आत्मान्ु वीक्षणसे प्राप्त होता हें । दढ व्यक्तित्व प्राप्तिक इच्छुककों अपने आन्तरिक जीवन, अपने हृदय, उद्देश्यो ओर इच्छाओंका शान श्राप्त करना चाहिए्ट ताकि उसे अपनी चास्तविक स्थिति माद्धम दो जाय | उसे यह मालूम होना चाहिए कि बद् कहो यड़ा हे । उसे अपनी उन घुटियों ( यदि फोई हा ) को भी जानना चाहिए जिनका सुधार फरना हे । उसे अपनी उन दुर्वलताओंका भी शान प्राप्त करना चाहिप्प जिनको दूर करना जरूरी हे! उसे अपनी उन फमओरियॉफा भी बोध दोना चाहिए, जिनके कारण मूतकाल्में उसे दानि पहुच चुकी हो अथवा हानि पहुँचनेकी सम्भावना हुई हो और जियको दूर फरनेकी तरफ अप पूरा ध्यान देना चाहिप्प ताकि भविष्यमें उसके दढ विचार और खुनिश्चित ध्यानसे उसकी प्रगतिका मागे उसके पदार्पण करनेसे पहले ही दढ हो जाय, उसमें कोई रुकावट न रद्दे । वास्तवमें यह जानना वडा ही उत्साइवर्घक है कि प्रत्येक डुर्च स्थानकों ढ़ श्ज




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now