गृहलक्ष्मी | Grihalaxmi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1011 KB
कुल पष्ठ :
126
श्रेणी :
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No Information available about गिरिजादत्त शुक्ल 'गिरीश' - Girijadatt Shukl 'Girish'
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गृहलक्ष्मी श्श
ए+स् 2 ७+स सास उस स सी जल 2 सससससस सस+ सम सस रस स सच
टूटा बज्ध भश्रचानकक उस पर
झ्राकुल विकल नितात बनी,
अझसहाया अवलोक अवस्था
झपनी अतिशय अन्त बनी।
“ग्रयि मायाविनि निद्रे ! तू ने
झाज श्रनथ किया कैसा !
मेत्र | तुम्हे यह उचित नहीं था
घोखा हाय दिया कसा 1[श्श
यो कह भ्रमित विकल होती थी
भगिनी वदन मलीन महा,
सलिल विहीन मीन सी वह थी
तलफ रही वन दीन महा।
डोक-ठोक भाथा निज कर से
वह नत शीश लगी. रोने,
उसकी विपद विलोक दिया भी
कम्पित-्गात लगा. होने।रश
जेठ रसोईगृहू मे आये
भोजन हेतु समय ऐसे ।
समझ सके न रहस्य वहाँ का
भीौर समभते ही कंस?
भोजन आ न रहा था आगे
और न था परसा जाता,
केवल सिसिक सिसिक रोने का
सस््वर॒ था कानो में आता।१श।
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