सामाजिक विचारधाराएँ | Samajik Vichar Dharaye
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
297
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१६ घामामिक विच्राएपा ४ $
डजबस्पा का एक निर्णायक ठत्त्य होता है ब्मोकि जिप समाज मं छिछ तरह के
स्पक्त होते है. बह घमाज उसी तरइ गा होता है। सामाजिक मध्याए्मस्सा झीर
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होठा है भौर एक मिम्म-थम | उर्छ-बर्ग दीरें-धीरे पतनोष्पुख हो जाता है पौए
एम दिम बह प्राता है. जब कि मिम्न-गर्ग के कुछ लोग ठरबड़ी करके उ्चन्गर्य
में था जाते है. एच उच्च-बम के सोग॑ मिएकर हिम्स-डर्ष में पहुँच जाऐ हैं ।
परेटो का कहना है कि इस प्रकार बर्गों का भिर्षार्स होता रहा है जो कि
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परटो की यह माप्पवी रही है कि मर्युप्पों मे घारीरिक घोर शोडिक दृप्टि
ऐ सरदेब ही पसमामठा रही है पोर एमी । पद छामाजिक पछमानदाएूँ भी
सेब ही रही है भौए रईपी | उतरा कहता है कि जो उच्च बर्म जितग! फ्पादा
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छा उपयोप इूटकी क॑ छ्रापिस्टों ते किया भरता डतक बिचाार्रो को फ्रासिघ्टबाबी
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दिमक्त किया है । उतका कददता है कि प्रश्येक घटता के शो पक्ष होते हं-अप्वु-
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ठर्कशबद दिये करते की चप्टा करता है
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के समाजछारत्र की विशेषता केवल यह्दी नहीं है कि क्षमके दिचारों में
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छिद्ाल्व में भा पानदीस स्यव्टार के उसके विश्लेषण में बहु कुछ
दिलाई पढ़पी है। इसी तरह उसके ६४ कुषम में भी पष्पता है कि बहुद से
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