सामाजिक विचारधाराएँ | Samajik Vichar Dharaye

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : सामाजिक विचारधाराएँ  - Samajik Vichar Dharaye

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about दिनेश खरे - Dinesh Khare

Add Infomation AboutDinesh Khare

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
१६ घामामिक विच्राएपा ४ $ डजबस्पा का एक निर्णायक ठत्त्य होता है ब्मोकि जिप समाज मं छिछ तरह के स्पक्त होते है. बह घमाज उसी तरइ गा होता है। सामाजिक मध्याए्मस्सा झीर बम निर्धारण ८ परेशो का हात्पर्पे मद है कि प्रत्येक छमाज म॑ एक उ्य-बग होठा है भौर एक मिम्म-थम | उर्छ-बर्ग दीरें-धीरे पतनोष्पुख हो जाता है पौए एम दिम बह प्राता है. जब कि मिम्न-गर्ग के कुछ लोग ठरबड़ी करके उ्चन्गर्य में था जाते है. एच उच्च-बम के सोग॑ मिएकर हिम्स-डर्ष में पहुँच जाऐ हैं । परेटो का कहना है कि इस प्रकार बर्गों का भिर्षार्स होता रहा है जो कि फ्रासिस्टबाद परटो की यह माप्पवी रही है कि मर्युप्पों मे घारीरिक घोर शोडिक दृप्टि ऐ सरदेब ही पसमामठा रही है पोर एमी । पद छामाजिक पछमानदाएूँ भी सेब ही रही है भौए रईपी | उतरा कहता है कि जो उच्च बर्म जितग! फ्पादा ऋर दोठा है बह उठते ही रहादा छप्तम ठक टिक पाठा है। परेो के इव घिदाम्दों छा उपयोप इूटकी क॑ छ्रापिस्टों ते किया भरता डतक बिचाार्रो को फ्रासिघ्टबाबी मानो मया है पौर डहें पूँजीपियों का कारसे मार (हि आधार ण॑ 8०ण४६- <० ४०) रहा शया है ! हार्किक भोर क्रदार्किक विसाएँ परैटो से धमस्0 मार्सबीय कार्यों को हाकिक प्ौए झठा किक किजापों म दिमक्त किया है । उतका कददता है कि प्रश्येक घटता के शो पक्ष होते हं-अप्वु- प््त (001८८४४७०) प्रौर बर्शापत (5४ए०८/१०) | ममुष्य के कार्प प्रधिकाएत' घताकिक होने हू लेकित प्रपने कर्याम्त इप्टिकोर के काप्ण वह धरदेव ही उसमें ठर्कशबद दिये करते की चप्टा करता है परेटों के विषारों की समीषा के समाजछारत्र की विशेषता केवल यह्दी नहीं है कि क्षमके दिचारों में है प्रस्तुत किया है। उन्‍्दाने छम्शस्थ स्पापित किया । कार्य प्रौर बाप्ण *ो पारस्परिक तिर्मरता के उतके छिद्ाल्व में भा पानदीस स्यव्टार के उसके विश्लेषण में बहु कुछ दिलाई पढ़पी है। इसी तरह उसके ६४ कुषम में भी पष्पता है कि बहुद से




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now