मूलाचारस्य | Mulachara

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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8 आचार्यने भी बनाई है और पहली आचारबृति संस्क्ृतदीकाके अनुसार जैपुरी देशभाषा टीका पँ० नंदरालजी जैपुरनिवासीने आधी ५१६ गाथा तक बनाई उसके बाद उक्त पंडितजीका खगवास होगया | पश्चात्‌ पं० ऋषमदासजीने अवशिष्ट आघी वनाके उसटीकाको पूर्ण किया । उसकेविषयमं “टीका देशभाषामय प्रारंभी सु नंदुलार पूरण करी ऋषभदास यह निरघार है” ऐसा भाषाकारका कवित्तमी है । जेनमत्म मोक्ष मुनिधर्मसे ही है इस- लिये मोक्षकेलिये यही ग्रंथ साक्षात्‌ उपयोगी होसकेगा | यह भाषाटीका उक्त भाषादीकाके अनुसार ही की गई है । अब हम विशेष न लिखकर केवक इतना ही कहते हैं कि इस अंथमाछा के संरक्षक श्रीमान्‌ सेठ छुखानंदुजीने जो इस अंथका उद्धार कराया हैं उसके लिये कोटिशः धन्यवाद है और आशा करते हैं कि उक्त सेठ साहव इसके फंडके वढानेमें अपनी उदारताक्ा परिचय देते रहेंगे। अंतमें प्राथना है कि इस अंथके संपादन व सं्योधन करनेमें जो चुटियां रहगई हों उनको खाध्यायप्रेमी सब्जननगण झुद्धकर मेरें ऊपर क्षमा करते हुए खाध्याय करें| इत्यरं विजेयु । जैनप्रंथडद्धारककायौ लय ! जिनवाणीका सेवक खत्तरगली होदावाडी $ खत्तरगठ हो दावाड | प० मनोहरलाल 3 पो० गिरगांव-बंबई हा कऊार्तिकवदि १४ सं० १९७६ पाठम ( मेनपुरी ) निवासी




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