श्री वैराग्य भास्कर | Shree Vairagya Bhaskar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
115 MB
कुल पष्ठ :
148
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)यदाक्य भगवतोक्त तत्स्वयमेव दशेति नाम्निरिति.। खं
माकाशः इबसनो वायुदवर्ता “वाहमनसोरप्युपासनावे-
बम॒क्ते श्रुती तथा।हे।यो, वाच ब्रह्मेत्युपास्ते मनो बैल्लेत्यु-
पासत इति विपश्चितस्तत्वेज्ञा इति ॥ ९॥ || «७
जो -छ्ोक श्रीकृष्णचंदजीनें कहाहै अब तिसकों छिखके दखाते है।
अग्नि सूर्य चंद्रमा तारे प्थिवी जल आकाश वायु वां मन इत्यादिक
देवता भेददश्किरके उपासना करे हूए भेद् दृष्टि वाछे उपासककके
पापकों न नहीं करते और किद्गान् महात्मा त्तो एक मुहते सेवा क़रें
हुए पुरुषके पापकों नष्ट करे हैं इति ॥ ९ 1 मम
पल आशुरुूर॒बाच । रा
भेद॑दश्ेयेदा देवा न हरंतीह दुष्कृतम्
तदा कि तत्त्वविज्ञस्य त॑स्य पाप न विद्यत
बतोक्तम | कमंणव हि संस्किद्धिमास्थिता जनकादय इति |
नल देवा उपासिता विक्ञस्याघं हर॑त्विति चेन्न तस्य कर्म
User Reviews
No Reviews | Add Yours...