धनुर्वेदसंहिता | Dhanurvedsanhita
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
114
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भाषादीकापमेता । (२१ )
काकहंसशशादानां मत्स्यादक्रोंचके-
किनाम। गृप्राणां कुराणां च पक्षा एते
सुशोभनाः ॥ ६० ॥
अथे-कव्वे, इस, शशादः बगुले; क्रोंचपक्षी, मोर;
गीष, टटीहरी, इनके पर बाणके बांधने ओष्ठ है ॥ ६० ॥
पडंगुलप्रमाणेन पक्षच्छेद च कारयेतू ।
दशाशलमिताः पक्षाः शाईचापस्थ-
मार्गणे ॥ ६१ ॥
योज्या ददाश्रतुःसंख्याः सन्नद्धाः लायुतन्तुमिः।
अर्थ-छःभंगुल्के मान परोंकी कांटे) और शाहइपलुप-
पर चढ़ानेके वाणकेढिये दर २अंगुलके पर चार २ प्रत्येक
बाणके खड़े तांतके तारोति बाषि॥ ३१॥ जैसेः- .
,शरथ्र त्रिविधो ज्ेयः स्रीपुर्मोश्व नपुं:
: सुक॥६२॥अग्रस्थलो मनेन्नारी पश्चात्स्थूलो
भवेत्युमाद्॥ समो नपुसको गैयरतहश्यार्त
प्रशस्यंते॥ ढरपातों युवत्या च पुरुषों
भेदयेहद्म् ॥ ६३ ॥ '
अथे-तीन प्रकारंके बाण जानने चाहिये द्वी पुरुष और नए-
सक नो आगेसे भारी हो वह स्ली बाण कहातादे। जोर पीछे जो
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