मछुआरे | Machhuare

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Machhuare by तकषी शिवशंकर पिल्लै - Takashi Sivasankara Pillai

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्० मछुआरे सन्तुष्ट न होकर चक्की ने आगे कहा ऐसा ही है तो लडकी को बाँधकर समुद्र मे फेक देना अच्छा होगा । चेम्पत ने फटकारा धत्‌ तेरे को। यह नाव और जाल सब किसके लिए हे ? चेम्पन ने जवाब नहीं दिया । चक्की ने सुझाया उस वेल्लमणली वेलायुधन्‌ के बारे मे क्यो नहीं सोचते ? नही वह नहीं चाहिए । क्यो उसमें क्या कमी है ? वह सिफ॑ एक मल्लाह है मामूली मल्लाह। तब बिटिया के लिए मल्लाह नही तो और किसे लाने जा रहेहो ? इसका कोई जवाब नहीं था । माँ की यह बात कि कोई विधर्मी बेटो को कुमागं मे ले जायगा करुत्तम्मा के कानों मे गूज गई । लेकिन उसके बाप को उसका पुरा मतलब समझ में नही आया । करुत्तम्मा का कलेजा धक्‌-धक्‌ करने लगा मानों फट जायगा । विधर्मी ने क्या उस समय भी उसे कुमार्ग की ओर खोच नहीं लिया था




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