औपपातिक सूत्रम | Shri Aupapatik Sutram
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
25 MB
कुल पष्ठ :
868
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विषय ह पृष्ठ
२१ भगवान के शिष्यों का बाह्याभ्यन्तर तप-उपघान का वर्णन 1... २०३-३०६
२२ भगवान महावीर स्वामी के अनेकविध शिप्यों का बर्णन। ३०६-३२१
२३ असुरक्ुमार देवों का भगवान के समीप आगमन, और
उनका वर्णन ३२२९-३३ ०
२४ नागकुमारादि भवनवासी देवों का भगवान के समीप आगमन,
और उनका धर्णन। ३३१-३३३
१४ व्यन्तर देवों फा भगवान के समीप आगमन, ओर उनका
वर्णन 1
२६ थ्योतिष्क देवों का भगवान के समीप आगमन, और उनका ,
बणणेन । _.. ३३९-३४१
२७ भगवान के समीप वैमानिर देवों का आगमन,ओर उनका वर्णन1 , ३४२-३४६
रथ चम्पा नगरी के वासी छोगो का भगवान के। दर्शन |,की , ,
उत्सुकता, और उनका भगवान के समीप जाना। , - ->--. ३४७-३६३
२९ प्रवृत्तिब्या्तत द्वारा कृणिक का भगयान के आगमन का ,परि- *
ज्ञान, ओर राजा कूणिक द्वारा प्रवृत्ति व्याएत का सत्कार।._,३६३-३६५
३० राजा कूणिक-द्वारा बलव्याप्रत (सेनापति)-का आहान, ,और ७८.
उसे हाथी, घोडा, रथ आदि तथा नगर के-सजवाने का आदेश 1-३६ ६-३६९
३१ बलब्याएत-द्वारा हृस्तिव्याप्रत को हाथी-सजाने का आदेश ओर> | ,
हस्तिव्याप्तत-द्वारा हाथियों का सजाना 1- | « 1... ३७०-३७७
३२ बलव्याएत-द्वारा यानशाल्रिक को ,.यान-सजाने का आदेश, और
यानशालिक-द्वारा यानों को सजाना। -_ ,,.. - ३७७-इ दर
३३ बलव्याप्तत-द्वारा मगरणुप्तिक;को नगर सजाने का आदेश, ओर ,
नगरगुप्तिक-द्वारा नगर को सजाना |- 15,, न उद३-३८५
३४ आभिषेक्य हस्तिरत्न-आदि का निरीक्षण कर के. बलव्यापत का + ८
कूणिक राजा के पास जा, कर उन्हे भगवान के दशन के छिये
जाने की प्राथेना -. करना । तबन्न + श्यएनइ्दद
३४ फूणिक राजा का व्यायामादि करके स्नान करना, दृण्डनायक
आदि से परिविष्टित हो गजराज पर आरढ़-छोना, ओर सभी
श्रकार के ठाद-वाद के साथ भगवान के त्शन के लिये बे
प्रश्यान करमा, उचित प्रतिपत्ति के साथ “भगवान के ससीप
पहुँचना, और पर्युपासना करना। 7“ «
३३४-३३५८
+
0 ई
हे
- डेदादा-+2३७६
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