औपपातिक सूत्रम | Shri Aupapatik Sutram

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Shri Aupapatik Sutram  by कन्हैयालाल जी महाराज - Kanhaiyalal Ji Maharaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषय ह पृष्ठ २१ भगवान के शिष्यों का बाह्याभ्यन्तर तप-उपघान का वर्णन 1... २०३-३०६ २२ भगवान महावीर स्वामी के अनेकविध शिप्यों का बर्णन। ३०६-३२१ २३ असुरक्ुमार देवों का भगवान के समीप आगमन, और उनका वर्णन ३२२९-३३ ० २४ नागकुमारादि भवनवासी देवों का भगवान के समीप आगमन, और उनका धर्णन। ३३१-३३३ १४ व्यन्तर देवों फा भगवान के समीप आगमन, ओर उनका वर्णन 1 २६ थ्योतिष्क देवों का भगवान के समीप आगमन, और उनका , बणणेन । _.. ३३९-३४१ २७ भगवान के समीप वैमानिर देवों का आगमन,ओर उनका वर्णन1 , ३४२-३४६ रथ चम्पा नगरी के वासी छोगो का भगवान के। दर्शन |,की , , उत्सुकता, और उनका भगवान के समीप जाना। , - ->--. ३४७-३६३ २९ प्रवृत्तिब्या्तत द्वारा कृणिक का भगयान के आगमन का ,परि- * ज्ञान, ओर राजा कूणिक द्वारा प्रवृत्ति व्याएत का सत्कार।._,३६३-३६५ ३० राजा कूणिक-द्वारा बलव्याप्रत (सेनापति)-का आहान, ,और ७८. उसे हाथी, घोडा, रथ आदि तथा नगर के-सजवाने का आदेश 1-३६ ६-३६९ ३१ बलब्याएत-द्वारा हृस्तिव्याप्रत को हाथी-सजाने का आदेश ओर> | , हस्तिव्याप्तत-द्वारा हाथियों का सजाना 1- | « 1... ३७०-३७७ ३२ बलव्याएत-द्वारा यानशाल्रिक को ,.यान-सजाने का आदेश, और यानशालिक-द्वारा यानों को सजाना। -_ ,,.. - ३७७-इ दर ३३ बलव्याप्तत-द्वारा मगरणुप्तिक;को नगर सजाने का आदेश, ओर , नगरगुप्तिक-द्वारा नगर को सजाना |- 15,, न उद३-३८५ ३४ आभिषेक्य हस्तिरत्न-आदि का निरीक्षण कर के. बलव्यापत का + ८ कूणिक राजा के पास जा, कर उन्हे भगवान के दशन के छिये जाने की प्राथेना -. करना । तबन्न + श्यएनइ्दद ३४ फूणिक राजा का व्यायामादि करके स्नान करना, दृण्डनायक आदि से परिविष्टित हो गजराज पर आरढ़-छोना, ओर सभी श्रकार के ठाद-वाद के साथ भगवान के त्शन के लिये बे प्रश्यान करमा, उचित प्रतिपत्ति के साथ “भगवान के ससीप पहुँचना, और पर्युपासना करना। 7“ « ३३४-३३५८ + 0 ई हे - डेदादा-+2३७६




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