हिन्दुस्तान का एक्ट रजिस्ट्री | Hindustan Ka Act Rajistry

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Hindustan Ka Act Rajistry by मथुराप्रसाद - Mathuraprasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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एक्ट राजैस्टरी श्श्‌ ने १६ सन १२०५ ६० माहदा दरमियान मालगुजार वो काश्तकार पूरा होता है-- ८, “नावालिग” से ऐसा शख्स सममना । जो ०] चमूजिब कानून जाती जो उस से लागू होता हो, बालिग न हो गया हो--- तशरीह --दर ऐसे नायालिग के निश्यत, कि जिस की जान ये माल की हिफाजत के वाले किसी अदालत इन्साफ़ की तरफ से वोई वल्ली मुफर किया गया हों, या जो कोर्ट झाक बाडेस के जेर एहतिमाम में हो, यह सममा जावेगा कि बह २१ साल की उमर पूरे होने पर बरालिंग हुआ, न कि इस के पेरतर, लेकिन हर दौगर शएस के निधन, जो सरकारी हिन्दुत्थात का बारिस्दा हो गया हो, यह समझा जायेग। कि बह झठारा साल की उम्र पूं: होने पर, न के उस के पेश्तर, बालिग हुआ-( देखे द्विदुस्थान का एक्ट बाखगी न० ६ सन १८७५ ६० सफ़ा ३ )-- < “जायदाद मनकूला” में इमारती छड़को के खड़े दरख्त, ऊगती हुई फसल, और घास, दरख्तों पर लगे हुए फल और दरख्तों के अन्दर का रस भौर हर दागर किस्म की जायदाद जो जायदाद गैर मनकला न हो, शामिल है-- तशरीए-फसल --इन्तफाल, चजरियें तहरीर दुबारत शहरी ( यानी बह इचात्त जै। दस्तावेज के पीठ पर लिय दो जाती है) किसी ऐसे दस्तावन रजिछ्ती शुरा का जिर्खे कुट फसल रहन हो. बहार मामन्ध सतह आय: मनपृष्ता के सासीयर किया जाता है; इस लिप एसी इमारत जोहती की इडिस्ली हशव ममेशाव दफा १७ एक्ट सरुसी नह हे मत ह८३उ> ई० या खगाय दफा ५५ एक्ट इस्तफाल जायदाद न शे सम [ष्णर ० $ साकगी मी है ( हे, क्षा 1(, शजाहाबाद जिले १० सतत २०, काखडा प्रसाइ-दाम- चन्दग संग )-रहम फसए हक थो किपी दुस्द्ा जमीन में हिदा। इंजि धो




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