एक्ट इन्तकाल जायदाद | Act Intakal Jayadad

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Act Intakal Jayadad by मथुराप्रसाद - Mathuraprasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मे ४ सन १८८९ ३० ) ५ -अपये...आक व वरसकपक३०-5ा3५१५२००७५५५.+बक८न्‍८८ ३. ९.६५/8:८८-#९अक:फाप जाहिर | .. एक्ट के रुसे साफ तोर पर मेसूख ने किये। है ऋ9-77॥“15॥ कक , (क) अहकामात किल्ली कावृन के जो इस। ७5 ये हों;--- । ) 'क्िसी ठहराव या इस्तकरार जायदाद। की शरतों या ताछुक की वातों में जो इस | हि एवट के हक्मा के सुताविक ६ और जा उस ' क्त चाल कानून के रूसे जायज हों; - : : (ग) किसी हक्क या जिम्मेदांरी में जो किसी। ' ऐसे ताक काननी से पेदा होती हो, कि जो | दादरसी में जो वेसे हक्क या| १62 डा 435 ड् पा 2! 5 | गी से निसबत रखती हों; या एक्ट का दफा ५७ वो चांथे बाव से हक्सा को छोड़कर, किसी इन्तकाल जाय- दाद भे जो कानन के असश से या अखत्यार सजाज की अदठालत के किसी डिंगरी या हुक्म की तामील में अमल में आया हो, आर इस एक्ट के दसरे वाब का का इबारत हिन्दू, मंसलसान वो वध लोगों के किसी ' * चीयदा कानूनी से असर न पहुँचावगी, कब




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