पञ्च - पात्र | Panch - Patra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
320
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शत ]
१३-अज्ञात
कहां है नाथ तुम्हारा घाल।
खोऊ फिरा सर देख लिया +
अब में दोंगया दृताश।॥
मुये व्यर्थ श्रम टेस जद प्रति
करती है. उपहास ।
वाया. जिसका पता. नहीं
वह रहता. उसके पास वा
ब्रात काल पथ लाती हैँ
उसका... इुछ. साोदेश |
मूक प्रटति को ही कह जानी
उसका आदिेदा ॥
छ्ण भर मे नये जड़ में हो
जाता चैतवय विकास )
खूक्छो पर विक्रसित पूल्टों का
होता हारा किस 1!
हँस हंस कर जट की तक
करता सानत.. फिटार )
मर खर्गों के अहग्य के
भर जाता हैं. हसारा
लिए मपाहआऋार में सक ऊ
मरद हो हा. एाओआ 1
कई
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