दुनिया के विधान | Duniya Ke Vidhan

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Duniya Ke Vidhan by पट्टाभि सीतारामैय्या - Pattabhi Sitaramaiyya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दुनिया कर बिघान ९ गद्ि नितला मबन टसे बापिस मेजने ( 1१९८७! ) का प्रस्‍्ताव करे वो उसे पद से मंसूल्त कर दिया जाता हे श्यौर बदि जनता प्रस्ताव के समर्थन में राज दे तो वह पद से भ्रलग हो खाता है । अधिकार झ्रापारमूत झ्रधिकारों थ्रो सौ, सेन्‍्ब सहागता से शान्ति स्थापित करने में मन्धूज़ कर सकता है जैसे प्यक्तिमत भपषिकार, मापण संबधी स्वतंत्रता, निबात, तमा, शप्तुदाग बनाने भौर तम्पति संबंधी स्वतत्र॒ता-च्ितु रौज़त्टाग को तरत दुचना देनौ होती है। फैला पर सर्वोच्च नियश्रदय रौत़ के पदापिकारियों को नियुक्त करने तपा निकालने का अधिकार, पदि पृछतरे अन्य इग का जिवान में निर्देश न हो | बह श्पिकार दूसरे को हौप सकता है। प्रेरर्रप्र बिवद्ों में रौज़ का प्रतिनिनिल करता है । अंसलर के परामशे पर रौक़ को मंग कर सडता है। प्रेलौडेएट अ्रषिणेशन को संग करमे के शिदाय उसे किसी प्रकार श्यगित नहीं कर सता | ( दुलना ड्रीजिये, ईगरहोबड, अमेरिका, मम़्स्स से )। प्ैसीडेपर दी झाजा पर इसक्षर अगणा लेंबंधिस मंत्री के इस्ताधर धावरगऊ हैं। दस्ताधर करमेबाला उस ढार्म के किये उत्तररागी समा जाता है। चांसक्षर तथा मंत्रिगण प्रेतौडैयट अआंसक्षर ब्रो नियुक्त करता है भौर खझलकौ राम पर मंत्रियों दो | मोर १-- इस सम्ग पराशित ख्मदी बिद्वित रास्पों के निमंद्रण में है। उसका बिमार्न कर विमित राज्य ठस पर अ्रल्लम श्रलग शात्तन कर रहे हैं। पीरे-घीरे उसे फिर शाठन में स्व॒तशता दो आरदी है| झमौ अर्मनी का मविभ्य अपकार में है है| ध्रमी कुद्ध म्दी कहता जा सकता दि नदीन अमेनी दो तौमा तथा शातन-विधान दो रुपरेंसा क्या शोगी। २-ट्स्लिर के द्ाब में शत्ति श्राने पर ( १६१३ १६४४ ) बराबर उश्र-फर बोते रद 1




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