पुराण परिचय | Puran Parichay
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
819 KB
कुल पष्ठ :
28
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पुराण परिचय... १३
काष्टूछ- स्म दे विषय भें पुरता हं कि पर तुखौरास ली ने जो येह
कलङ्क पुराणों पर लगाया है क्या वद्द सच है, क्या पुखणों का यही
` अभिभ्राय है कि सध देवता की निन्द्ष करं यर खव को दित करद ट
` पण्डित ज्तौ यदि यहं षर जरा भी विचार बुद्धि से काम छेते या न्याय
{ एन्खाफ ) को जपने खन्मुख रखते तो भरीभांसि समकर जाते कि संसार
भे-दिन्दूषयै का कोषे भीषा ग्न्य नी कि डिस में किसी को भी निन्दां
लिखी हो । ”
चत्तर-पं० लुख्सीरास जी ने ही पुराणों का कलड्डू नहीं कगार किन्तुं
जिसे ने भी न्याय ( इंसाफ ) को सासने रक््खा उसी ने पुराणों को झच्छा
नहीं दताया संस्रुत साहित्य में “सुभाषितरल मारडागार” सास `का एक
चुरान चढ़ा प्रसिद्ध पुरुतक है बढ़े ९ विद्वान उसको पढ़ते हैं च व में सी
पुराणों के विषय में यदद लिखा हैः---
पौराजणिकालां ध्येसिंचांर दो यो-नाशंकूनीयः कं तिसिः फदाचित् 1
पुररणफततों ब्यमियारक्तात-रुतस्या पिपुत्रों ब्यसिच्यर जातः ॥ १ ॥`
स्यत् पणिडतों कों पौराणिकों के व्यसिचारदीप में शंका ही
नदीं करनी चाहिये ! ष्ये कि पुराणीं फे बनाने वाखा मौर उस
_ का पुत्र थी वयसिचार से चेदा हुवे हैं । हमारे सनातन घर्मं भा व्यास
ली अर् उन रे खयोग्य पुत्र शुकदेव सुनि को व्यभिष्वष्य सते उस्पन्त पुसपयाम
छे खेखानुरार मानते है ' दम श्रौ वेदन्यस्ड रीर शुकदेव उ दो पचिज्न
युरुप सानते दें जौर कटे हैं के यह दोष सिध्या हैं । किन्हीं ज्ास्मणों के
निन्दक नवीन नास्तिक ने ठयासादि पर दोष के घलोक चड़ दिये हैं ॥
हिन्दू घ्से की पोथी शापने बनाये हैं उन में तौ स्मो वथानन्द् :
जैसे सहरचिद्भरन् -की च” तुतौ रासः स्वपसो ष्छी सः पेठ निन्द छिरी ह.
यदि आप उक्ते भिन्द हौ नहीं समक्ते तौ यष्ट अप्य कौ अक्ष की कलं
कीलो हो गई है ॥ ः
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