पुराण परिचय | Puran Parichay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पुराण परिचय... १३ काष्टूछ- स्म दे विषय भें पुरता हं कि पर तुखौरास ली ने जो येह कलङ्क पुराणों पर लगाया है क्या वद्द सच है, क्या पुखणों का यही ` अभिभ्राय है कि सध देवता की निन्द्ष करं यर खव को दित करद ट ` पण्डित ज्तौ यदि यहं षर जरा भी विचार बुद्धि से काम छेते या न्याय { एन्खाफ ) को जपने खन्मुख रखते तो भरीभांसि समकर जाते कि संसार भे-दिन्दूषयै का कोषे भीषा ग्न्य नी कि डिस में किसी को भी निन्दां लिखी हो । ” चत्तर-पं० लुख्सीरास जी ने ही पुराणों का कलड्डू नहीं कगार किन्तुं जिसे ने भी न्याय ( इंसाफ ) को सासने रक्‍्खा उसी ने पुराणों को झच्छा नहीं दताया संस्रुत साहित्य में “सुभाषितरल मारडागार” सास `का एक चुरान चढ़ा प्रसिद्ध पुरुतक है बढ़े ९ विद्वान उसको पढ़ते हैं च व में सी पुराणों के विषय में यदद लिखा हैः--- पौराजणिकालां ध्येसिंचांर दो यो-नाशंकूनीयः कं तिसिः फदाचित्‌ 1 पुररणफततों ब्यमियारक्तात-रुतस्या पिपुत्रों ब्यसिच्यर जातः ॥ १ ॥` स्यत्‌ पणिडतों कों पौराणिकों के व्यसिचारदीप में शंका ही नदीं करनी चाहिये ! ष्ये कि पुराणीं फे बनाने वाखा मौर उस _ का पुत्र थी वयसिचार से चेदा हुवे हैं । हमारे सनातन घर्मं भा व्यास ली अर्‌ उन रे खयोग्य पुत्र शुकदेव सुनि को व्यभिष्वष्य सते उस्पन्त पुसपयाम छे खेखानुरार मानते है ' दम श्रौ वेदन्यस्ड रीर शुकदेव उ दो पचिज्न युरुप सानते दें जौर कटे हैं के यह दोष सिध्या हैं । किन्हीं ज्ास्मणों के निन्दक नवीन नास्तिक ने ठयासादि पर दोष के घलोक चड़ दिये हैं ॥ हिन्दू घ्से की पोथी शापने बनाये हैं उन में तौ स्मो वथानन्द्‌ : जैसे सहरचिद्भरन्‌ -की च” तुतौ रासः स्वपसो ष्छी सः पेठ निन्द छिरी ह. यदि आप उक्ते भिन्द हौ नहीं समक्ते तौ यष्ट अप्य कौ अक्ष की कलं कीलो हो गई है ॥ ः




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