हिंदी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास | Hindi Sahitya Ka Sankshiot Itihas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
21 MB
कुल पष्ठ :
84
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्यामसुंदर दास - Shyam Sundar Das
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मछिकराश--शनाभगी शाला श्ह्
सभा प्रतिमा भ्रपिक नहीं थी, इससे उनका प्रभाव मी विशेष नहीं
पट्टा | सुंदरदास के अतिरिक्त संता में अरस्र अनस्प, भर्मदात,
फगजीगन प्रादि करा नाम मी शिया जाता है, साथ ही तुशती
साइब, शाबिद साइब, भौछा छाए, पक्तटू छाइब झादि असंक संत
हुए. जिनमें से झविकांश का साहित्य पर कोश विशेष प्रमाव नहीं
पष्टा | परंतु स्तों डी पर॑पणा का अंत नहीं ह गया श्र न्यूनाभिक
कप में बद पराजर चलती रही झौर झ्रग तक चल्ली जा रही है।
यद्यपि साहिस्पिक ध्मीद्षा में नियुंण छंत कषियों फ्रों उच्छत्तम
स्पान नही दिया जाता, पर इससे श्म उनके किए हुए उपडार नहीं
मू् सडते। मुसलमान और एंू संस्कृठियां के उत संपर्प-कास
में शिस् शांतिसगी बाशी की झ्रायश्वकता थी, उसी ढी प्रमिस्ब॑बना
संतों में की | भ्रत मी एंदी के प्रधान कत्रियों मे कषीर ध्रारि का
उच्च रपान है भौर प्रघार ढ़ो एप्टि से छो महात्मा तुससीदास के
भाद इन्हीं दा नाम जिया जागगा। इसमें सदेए नहीं क्रि इस युग में
इन लव मद्मत्माओं क॑ दारश एंदोसाशित्प का बड़ा उपफार हुआ ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...