हिंदी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास | Hindi Sahitya Ka Sankshiot Itihas

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Hindi Sahitya Ka Sankshiot Itihas  by श्यामसुंदर दास - Shyam Sundar Das

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्यामसुंदर दास - Shyam Sundar Das

Add Infomation AboutShyam Sundar Das

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
मछिकराश--शनाभगी शाला श्ह्‌ सभा प्रतिमा भ्रपिक नहीं थी, इससे उनका प्रभाव मी विशेष नहीं पट्टा | सुंदरदास के अतिरिक्त संता में अरस्र अनस्प, भर्मदात, फगजीगन प्रादि करा नाम मी शिया जाता है, साथ ही तुशती साइब, शाबिद साइब, भौछा छाए, पक्तटू छाइब झादि असंक संत हुए. जिनमें से झविकांश का साहित्य पर कोश विशेष प्रमाव नहीं पष्टा | परंतु स्तों डी पर॑पणा का अंत नहीं ह गया श्र न्यूनाभिक कप में बद पराजर चलती रही झौर झ्रग तक चल्ली जा रही है। यद्यपि साहिस्पिक ध्मीद्षा में नियुंण छंत कषियों फ्रों उच्छत्तम स्पान नही दिया जाता, पर इससे श्म उनके किए हुए उपडार नहीं मू् सडते। मुसलमान और एंू संस्कृठियां के उत संपर्प-कास में शिस् शांतिसगी बाशी की झ्रायश्वकता थी, उसी ढी प्रमिस्ब॑बना संतों में की | भ्रत मी एंदी के प्रधान कत्रियों मे कषीर ध्रारि का उच्च रपान है भौर प्रघार ढ़ो एप्टि से छो महात्मा तुससीदास के भाद इन्हीं दा नाम जिया जागगा। इसमें सदेए नहीं क्रि इस युग में इन लव मद्मत्माओं क॑ दारश एंदोसाशित्प का बड़ा उपफार हुआ ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now