देश के नौनिहालों से | Deshke Naunihalon Se
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.17 MB
कुल पष्ठ :
68
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १३ )
दारी कोई अपनी नहीं मानता । स्त्रियॉकी भी इसी
प्रकारकी दुदेशा है। नव शिक्षिता वघुऑओमें न तो व्यव-
'हारिक ज्ञान रहता है और न बौद्धिक । वे न ग्रहकार्यमें
दस हैं न ,बादरके। फिर पारिवारिक जीवन सुधारे कौन १
सन्तानको उत्तम बनाये कौन ? आवश्यकता है कि भार-
तीय सस्कृति और सभ्यताको परिष्कृत कर उसे अपनाया
जाये । मातृभाषाका ज्ञान होना सबसे बड़ी -आवश्यकता
है । धर्म शास्त्रोंको अनिवार्य रूपमें पढ़ाया जाये ताकि
उनकी भलाई बुराई सभीको मालूम हो जाये और सुधार
किया जाये। यदि ऐसा न-हुआ तो हमारी भी आगे चल
कर वही दशा होगी जो, कि छोटे-मोटे पश्चिमीय अथचा
अदिक्षित पूर्वीय देशोंका हो रहा है । भारत और भार-
तीयता दी ससारसे - लोप दो जायेगी । .रददन-सददनमें
आमूल पणिषर्तन,की आवश्यकता है । देशी ढट्ठ कितना
मोहक और उपयोगी यह. विदेशियोंसे, पूछा जाये ।
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