श्री सुद्दष्टि तरंगिणी | Shree Suddshi Tarangini

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Shree Suddshi Tarangini by कमक कुमार जैन - Kamak Kumar Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ह ओं नमः सिद्धेभ्यः । ओंकारं विन्दुसंयुक्त नित्य ध्यायन्ति योगिनः, | | कामदं मीक्षद॑ मल ऑओंकाराय .नमी नमः ॥ ३॥ ! अविरलशब्दघनोघप्रक्षालितसकलभूतलमलकंलंका | ५ मुनिभिरुपासिततीर्था सरस्वती हरतु नो दुर्तान्‌ ॥ २ ॥ ५ भज्ञानतिमिरांधानां ज्ञानांजजशलाकया। चक्लुरुन्मीलितं यैन तस्मे श्रीगुरवे नमः॥ | परमगुरवे नमः परम्पराचार्य्य श्रीसुरवे नमः | |. सकलकलुषविध्वंसक ग्रेयसां परिवर्द्धकं धर्ममसंबन्धक भव्यजीवमनः प्रति- बोधकारकमिद्‌ शास्त्र “श्री सुदृष्टि तरंगियी” नामधैयं, णतन्मुलग्रन्थकर्त्तार श्रोसवच्नदेवास्तदुत्तरग्रन्थकर्त्तार: श्रीगशधरदेवा: प्रतिगणशधरदेवास्तेषां वचोनुसार- मासाद्य पंडित प्रवर श्री टेकचन्द॒जी विरचितम्‌ । शी मंगल भगवान्‌ वीरो मंगलं गौतमो गणी।मंगलं कुन्दकुन्दाद्यो जेनधर्मिस्तु मंगलम॥ ॥ढ सव श्रोतार: सावधानतया शृण्वन्तु ॥ सफर 50 <्दासच्शप्सयसचव्यप ब्टपमच्धदपसवचदद 2 <ा5द 422 €*अ्द 1 २€२०८८:४ ६5: 2 €०५९८2८४४८:: कक हे 1




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