देशकर्मपद्धति | Deshkarm Paddhti
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
128
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about ब्राह्मावधूत श्रीसुखानन्दनाथ - Brahmavadhut Shreesukhanandannath
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)स्रीगर्णशाय नमः ।
दशकमंपद्धतिः।
भाषाटीकासहिता।
अनम््पज्व्य्त दमा फसल
अथ गर्भाधानस् ।
तत्र ऋतुन्लाता चतुथंदिने वधूः भातस्तृष्णीमादित्यम॒पति्ठेत्
त्ततस्तदिने माठ्यूजाभ्युद्यिक कृत्वा पोडशरामादवाक शुभराजों
मह्ूलाचरण ।
अजण्डमैश्वययुतं परेश विधाटवीध्यंसनमेकममिस् ।
गजानन॑ तं मनसा प्रणम्य करोमि भाषां दशकर्मपद्धतेः ॥ १॥
यतो5भूजन्मादिः सततमपरोक्षस्य जगतः
परोक्षत्व॑ तस्मिद् मतवति च कस्तत्र विलयः ॥
क्ृतातः सा भूम्रो बुधनवविकाशाय विदुपा ।
कन्हेयालालेन आ दिशतु धः ॥ २॥
ह्ा।
विश्न विनाशन गबवदन, नाहानहार र केश |
कृपा कीनिये दाप्त पहँ, दाता सिद्धि गणेश ॥ १ ॥
कमेदेव पद वन्दि पुनि, गुरुकों शोश नवाय ।
इलिखत पद्धती कमेंकी, कीजिय आय सहाय ॥ २ ॥
अब गर्भावातसंस्कार लिखा जाता है । तहां चोथे दिन कतुस्तान करके
ञ्री भातःकाल मीनबतघारणपूर्वक सूर्यके सन््मुख हाथ जोडकर खडी हो
जाय । फिर उसी दिन पोच्श मातकाओंकी प्रजा और नान्दीसुखस आद करके
User Reviews
No Reviews | Add Yours...