श्रीमद्रा'मायणपारायणोपक्रमः | Shrimadvalmiki Ramayan Aariya Kand -iv

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Shrimadvalmiki  Ramayan Aariya Kand -iv by चतुर्वेदी द्वारका प्रसाद शर्मा - Chaturvedi Dwaraka Prasad Sharma

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about चतुर्वेदी द्वारका प्रसाद शर्मा - Chaturvedi Dwaraka Prasad Sharma

Add Infomation AboutChaturvedi Dwaraka Prasad Sharma

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( ४) पर्द्रहतों सगे ११४--१२१ खपने पिता के मित्र जटायु के साथ श्रीरामचन्द्र जी का पद्चथटी में पहुँचना। शीरामचन्द्र री की आश्चा से लच्॒मण का वहाँ पर्याशाज्ा वनाना और सीताखहित्त उसमें श्रीरामचन्द्र जी फा सुखपू्वेक निवास । सोलहवाँ सगे १२१---१३२ हेमन्त ऋतु वर्णन और भरत का स्मरण कर श्रीरासचन्द्र जी का उनके लिए विज्ञाप करना। सत्रहवाँ सर्ग १३३--१४० पर्ण शाला में ग्हते समय लक्ष्मणु के साथ भीरामचद्र जी दी चिविध प्रफार की बातें होता ओर उसी बीच सें कामर्प।डित शुपंनस्ता फा पर्णशाल्षा में आना हर अपया परिचय देना। ऊ ए अद्यग्हवों सगे १४०--१४६ लक्ष्मण द्वारा शुपेनया के कान और नाक फा काटा जञाना। अफ्ने भाई स्पर के पास ला लकटी वूची शुूपनखा का क्रोध मे भर से फटकारसा। अन्नीमदों सगे १४६--१५४२ रामलच्मण फो दश्डकवन से निफालसे के लिए खर का चोदह गक्षसा फो आदेश देवा । घीमवाँ संग १४२---१ ५४८ अपने आश्रम में आए हुए और खर के भेजे हुए राज्षमा को श्रीगमचन्द्र द्वारा भरत्सेंना किन्तु आरामचन्द्र ची की जाता पर ध्यान न देकर आक्रमण




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now