किले की रानी | Kile Ki Rani
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
126
श्रेणी :
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No Information available about गंगा प्रसाद गुप्त - Ganga Prasad Gupt
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)घर उपन्यास
फ्लोरा० । नहीं, क्योकि उन्हें कुछ शक होता तो जरूर
कहते ।
हवर० । दा तो फिर वह क्या कद्दते थे ?
फ्लोरा० | घह कहते थे कि शायद तुम उस खोए हुए
खनन््दूक को खोज रहे दो ।
हयद॑० । हां !
फ्लोरा० । तुम उसके निकालने के लिये चेफायदे कोशिश
कर रहे हौ, पर्मोकि पिता जी ने उसको सैकर्टों बेर ढुँढवाया
मगर कुछ पता न छूगा... छुम चुप क्यों हो गए ?
हुवर्श० । कुछ नहीं, में सोचता था कि - ...
फ्छोरा० । नहीं तुःहें मेरी कसम, सच कहो तुम उदास
क्यों हो / मुझसे नाराज तो नही हो गए ?
इृथर्ट० (चौंक फर) ईश्वर न करे, भला मेरी मजाल हे
कि में तुमसे नाराज हो जाऊ ? छुम जो मुभसे कहती थी
उसी पर चिचार कर रहा था।
फलोरा० । अहा | अब में समझी | मैने सोचा कि शायद
सनन््दुक के मिलने की उम्मीद हट जाने से तुम्हें अफसोस हुआ,
लेकिन झुनों तो, तुम्हारी उस्मीद के साथ तो मेरी उम्मीद
भी चैधी है, फिर भला यदि यह सनन््दूक भी हाथ से जाता रहे
तथ हम लोग क्या करेंगे ?
हवर्टण प्यारी फ्लोरा | निराश न हो तुम ठो मेरा जी
भी तोड़े देती हौ। सच तो यह है क्रि मेरी सब थाशा तुम्हीं
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