श्री रामनायक कल्याण | Shree Ramanayank Kalyan

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Shree Ramanayank Kalyan by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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० पूर्णमदद पूर्णामिद पूर्णात्पूमुदच्यते । पूर्णस्य पूर्णमादाय . पूर्णमेकावदि्यते 6 । मायातीत ,माधवमार्थ जगदादिं, मानातीतं मोहविना्ं सुनिवन्धसू । योगिध्येये योगविधान॑ परिपूर्ण, वन्दें राम रज्ितलोक॑ रमणीयमू ॥ का पे श्रावण १९८७ जुलाई १९३० | संख्या ९ पूर्ण संख्या ९, जीवनका फल सिय-राम-सरूप अगाध अनूप. क्लिचव-मीवनकों जल है | शथुति रामकथा, मुख रामकों नाम, हिये पुनि रामाहिकों थल है ॥ मानि रामाहिं सों, गति रासहिं सं, राति रामलों. रामाहिंको बल है । सबकी न कहीं. तुठर्साकि मते इतनों जग-जविनकों फल है ॥ नागोसाएँगी मदार[ज




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