आत्मोद्धार | Aatmoddhar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
208
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नए क्--पीि(०७-पी ए ७७ >२एप०-:ए ०-० ५-४फीए
“वंद्रयों, बालक और दाद राष्ट्रक्षके मूल हें। इन सबकी शिक्षा
और पालन पोषणफी ओर सारतवर्षमें कोई ध्यान नहीं ठेता | जो
ड्यश्रेणीके छोग हें चे बहुत हुआ तो इस राष्ट्र-उक्षके फल कह्टे जा
सकते है ।
उक्षपर फल लदे हुए रसनेमे ही सब समय नष्ट करना ठीऊ नहीं।
जटोंको देखे और उनमें भरपूर साद और पानी दो । गरीब छोम
ब्लियाँ और चालक ही सत्यका डका पीटेगे । थथार्व राष्ट्रोद्धार राष्ट्रफी
गरीब ( दुर्व ) जडोसे ही हुआ करता है ।”?
(३२)
ू सब दानोंभे विद्यादान श्रेष्ठ ह । यदि फ्रिसीको आप एक रोज
भोजन देगे तो दूसरे रोज उसे फिर भूस ऊगेगी। परन्तु उसीको यदि
आप कोई हुमर सिखा देंगे तो सारे जन्मके छिए उसके दानापानी-
८, का प्रवन्ध हो जायगा। वह हुनर, कला या निद्या ऐसी-होनी चाहिए
९ कि उसका जीवन सफल दो जाय । सभ्य मिक्षुऊ बने रहनेकी अ-
पेक्षा जूते बनानेकासा कोई रोजगार-क्र लेना अधिक अच्छा है”!
(३)
“जहाँ ड्योगरी प्रतिष्ठा नहीं वहां अवनति और पिनाश वास
करते ई। बहाँकछाकोशछकी भी मद्दी पलीद होती है । पर जहाँ
1 उद्योगकी प्रतिष्ठा होती है वहाँ जीवन ( चेतन्य ) और ज्ञान बास
डे देशऊे भूँसों मरनेवाले नारायणों और मेहनत मजदूरी ऋरनेवाटि
बिष्णुओंकी पूजों | निर्धन हिन्दू पिद्याधियोज़ों कलाकौशर प्राप्त
ड करनेके लिए अमेरिका भेजो । वे वहोंसे सीसकर जब भारतवर्पम
आवेगे तो लोगोफ़ो अपने वछ पर खडे होनेकी शिक्षा ४ंगे और
उससे सक्टों, नहीं, हजारों रोटीके मोहताजोफी जाने बच जायेंगी।”?
(४)
| “अपने गॉयकी चमारिनों-भगिनोंको पटानेसे क्या तुम्हें छज्जा
आती है या डर ऊगता ह * अगर ऐसा ही है तो घिकार ह तुम्हारी
रीति-रस्मो पर ओर नीतिमत्ता पर [??
डर +-स्वामी रामतीर्थ 1
पउ-ए उप ७--उ ० पड >>एए०००एप०->तपा०->एप ०
करते ह, वहें कछाकोशेलकी उद्धि होती है । |
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