शहर अब भी सम्भावना है | Shahar Ab Bhee Sambhavana Hai

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जब हम प्यार करते हैं जब हम प्यार करते हैं तब यह नही कि आकाश अधिक दयालु हो आता है या कि सडकों पर अधिक खुशो चलने लगतो है बस यही कि कही किसी बच्ची को भपनी छत से उगता सूरज ओर पडोस की बछिया देखना अच्छा लगने छगता है कही कोई भोड में बुदबुदाते होठों मे प्राथना लिये एक जनाकीर्णं सडक सकुशल पार कर जाता है कही कोई शान्त मौन जरू ककड़ से नही, अपने सगीत से जगांता बैठा रहता है जब हम प्यार करते हैं तो दुनिया को छोदे-छोटे अशो मे सिद्ध करते हें ओर सुन्दर भी, और समृद्ध भी हम वसनन्‍्त को आसामो से काट देते हैं और उसे एक ऐसे सयोग मे गढ देते हैं जो न ऋतुगान होता है, व टहुनियाँ भौर न कोई स्पष्ट आकार ने काव्य, और न फूलो - चिडियो का कोई सिदसिछा-- हम उसे दुनिया के हाथो मे फेंक देते हैं ओर दुनिया जब तक उसे देखे परखे हम चल देते हैं छुप जाते हैं ऋतु से, या काव्य में, या टह॒नियो के आकाश मे-- २६६० के शहर अब भी सम्सावना है 15




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